रॉबर्ट वाड्रा के बिना अनुमति दुबई में रुकने पर अदालत ने जताई कड़ी नाराज़गी, पूछा- एफडी ज़ब्त क्यों न की जाए

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दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को रॉबर्ट वाड्रा के यूएई में रुकने पर अड़ी नाराजगी ज़ाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि वाड्रा कोर्ट द्वारा दिए गये अनुमति और शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जमानत पर बाहर वाड्रा ने मांग की थी कि उन्हें मेडिकल कारणों से यूएई में रुकने की कुछ दिन की और छूट दी जाए। जिस पर अदालत ने ये रूख अपनाया। मामले की अगली सुनवाई बुधवार (21 सितंबर) को की जाएगी।

 

विशेष न्यायाधीश नीलोफर आबिदा परवीन ने सोमवार को कहा कि वह रॉबर्ट वाड्रा की एकमात्र पुष्टि पर इस दावे को स्वीकार करने में असमर्थ थीं, जिसका उल्लेख हलफनामे में किया गया था कि उन्हें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रहने के लिए चिकित्सा कारणों की मजबूरी थी। जस्टिस परवीन ने कहा कि वाड्रा के टिकट दस्तावेज देखकर इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि उन्हें 25 से 29 अगस्त को दुबई में रहना था और फिर 29 अगस्त को वह यूके के लिए निकलने वाले थे। अदालत ने उनसे यह भी पूछा कि 12 अगस्त के आदेशानुसार उनकी एफडीआर राशि ज़ब्त क्यों न की जाए। कोर्ट ने 12 अगस्त को रॉबर्ट वाड्रा को यूएई के रास्ते ब्रिटेन, स्पेन और इटली की यात्रा करने के लिए चार हफ्ते की छूट दी थी।

 

क्या कहा था वाड्रा ने हलफनामे में

 

वाड्रा ने हलफनामे में कहा कि वह अपनी आगे की यात्रा शुरू करने से पहले यूएई में रुके थे, क्योंकि उनके बाएं पैर में डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) था और उन्हें लंबी दूरी की उड़ानों के बीच उचित आराम करने की सलाह दी गई थी। बाएं पैर में सूजन और दर्द की वज़ह से उन्हें दुबई में 27 अगस्त को दुबई में यात्रियों की चिकित्सा आपात स्थिति के लिए बने एलजीए मेडिकल फैसिलिटेशन सेंटर में रुकना और चिकित्सा सलाह लेनी पड़ी। वाड्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने अपने मुवक्किल का एक मेडिकल प्रमाणपत्र भी अदालत के सामने रखा।