विजयादशमी करें शुभ कार्य, जाने शमी पूजन करने का महत्व

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विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार है। इस दिन रावण को काम,क्रोध,लोभ और मोह का प्रतीक माना जाता है। भगवान श्रीराम ने रावण का वध करके संसार को यह सन्देश दिया कि सभी बुराईयां मनुष्य के पतन का कारण हैं।

भगवान श्रीराम महानता की प्रतिमूर्ति हैं एवं उनकी समस्त लीलाएं मनुष्यों के लिए आदर्श का पर्याय मानी जाती हैं। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग किसी भी तरह के शुभ कार्य पूजा-पाठ,विवाह,गृह प्रवेश आदि करने के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में अवश्य विचार करते हैं। शुभ मुहूर्त किसी भी नए कार्य के शुभारंभ या मांगलिक कार्य को शुरू करने का वह समय होता है जिस दौरान सभी ग्रह और नक्षत्र अच्छी स्थिति में होते हुए कर्त्ता को शुभ फल प्रदान करते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार,किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए विजयादशमी का दिन श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन बिना मुहूर्त निकाले कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। 

शमी पूजन का महत्व

नवरात्रि के नौ दिन तक देवी भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना के बाद दशमी तिथि को विजयादशमी पर समस्त सिद्धियां प्राप्त करने के लिए पवित्र माने जाने वाले शमी वृक्ष और देवी अपराजिता के अलावा अस्त्र-शस्त्रों का पूजन भी किया जाता है। इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना भी अति शुभ माना गया है। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। रावण पर विजय पाने की अभिलाषा में श्रीराम ने पहले नीलकंठ के दर्शन किए थे। 

 नीलकंठ के दर्शन करने से भाग्योदय,धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कथाओं के अनुसार हनुमानजी ने भी श्री रामजी की प्राणवल्ल्भा सीताजी को शमी के समान पवित्र कहा था,इसलिए मान्यता है कि इस दिन घर की पूर्व दिशा में या घर के मुख्य स्थान में शमी की टहनी प्रतिष्ठित करके उसका विधिपूर्वक पूजन करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है। विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होती है। शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य के सभी पाप और कष्टों का अंत होता है।