Supreme Court on Freebies: रेवड़ी कल्चर पर SC की कड़ी टिप्पणी, CJI बोले- मुफ्त योजनाओं के स्पष्टीकरण की जरूरत, इसपर बहस होनी चाहिए

Supreme Court comment on Freebie Issue: भारत मे इसवक्त एक अहम मुद्दा बना हुआ है जिसका नाम है 'रेवड़ी कल्चर' जो कि राजनीतिक रोटियां सेकते हुए कई पार्टियों के लिए परोसा जा रहा है या यूं कहें कि कई राजनीतिक पार्टियां इसको अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है. अब ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. मुफ्त योजनाओं के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की और तल्ख़ देते हुए कहा कि मुफ्त योजनाएं एक अहम मुद्दा हैं जिसपर सीधे तौर पर स्पष्ट बहस होने चाहिए. इस मसले पर अब अगली सुनवाई 24 अगस्त यानी कल होगी.
'जनकल्याणकारी योजनाओं और मुफ्तखोरी दोनो अलग बाते है'
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव के पार्टियां लुभावने वादे कर जनता को गुमराह करती है और फिर जीतने के बाद उसको भूल जाती है. ऐसे में CJI ने ये पूछा याचिकाकर्ता से की क्या आप सिर्फ मुफ्तखोरी के वायदों पर रोक चाहते हैं. क्योंकि जनकल्याणकारी योजनाओं की आड़ में दूसरे तरह के मुफ्त फायदे दिए जाते है. ऐसे में चीफ जस्टिस ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं और मुफ्तखोरी दोनो अलग बाते है.
जनता को जानने का हक
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश हुए वकील विकास सिंह ने ये दलील दी कि जनता को ये जानने का पूरा है कि मुफ्त घोषणाओं का पैसे का इस्तेमाल कहा और किधर किया जा रहा है. सभी राजनीतिक दल इसका घोषणापत्र जारी कर पूरी बात बताए कि जो भी वादे किए गए है उसका असल मे कितना प्रयोग हुआ और अब तक उससे यूज़ पैसे कहा गए। टैक्स पेयर्स को ये जानने का हक है कि उनके चुकाए टैक्स क्या इस्तेमाल हो रहा है.
याचिकाकर्ता ने मांग कर इस बात को कोर्ट तक पहुंचाया था
20 अगस्त को याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त सुविधाओं के मामले पर जवाब दाखिल किया गया था. इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि इसके लिए चुनाव आयोग के पास हर चीज़ की जानकारी होनी चाहिए कि राजनीतिक पार्टियां आर्थिक रूप से पैसे कहां खर्च कर रही है इसके लिए चुनाव आयोग के पास एक कमेटी भी होनी चाहिए.