चैलेंजिंग है फ़िल्म का डायरेक्शन-गोविन्द मिश्रा अब मिलने लगा है फ़िल्म डायरेक्टर को महत्व
मुंबई : राइटर डायरेक्टर गोविन्द मिश्रा की आने वाली वेब सीरीज़ ‘द लास्ट लेटर’ का ट्रेलर मुंबई में रिलीज किया गया। गोविन्द मिश्रा बताते हैं कि ये उनका पहला वेब सीरीज़ है जिसको लेकर वो बहुत उत्साहित हैं और अब इसका प्रमोशन जोर-शोर से स्टार्ट हो गया है।
"द लास्ट लेटर" एक पागल आदमी की कहानी है, जो अपनी जिंदगी से तंग आकर सुसाइड करने जाता है, तभी उसे एक चिट्ठी मिलती है, आखिर क्या था उस चिट्ठी में, उसने सुसाइड किया कि नहीं ये जानने के लिए आप को "द लास्ट लेटर" देखनी होगी। ये सीरीज़ अगस्त महीने के आखिरी सप्ताह में एम एक्स प्लेयर पे रिलीज होगी।
इससे पहले गोविन्द मिश्रा कई शार्ट फिल्म्स एड फिल्में और फीचर फिल्म का लेखन- निर्देशन कर चुके हैं। उनकी फिल्म कई नेशनल-इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में भी दिखाई गई है। उनकी पिछली हिंदी फिल्म ‘आई एम नॉट ब्लाइंड थी’ जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया था।
द लास्ट लेटर के मुख्य किरदार में अजय आनंद, गोविन्द मिश्रा, सलोनी रेज, दिखाई देंगे। पूरे सीरीज़ की शूटिंग मुम्बई में की गई है।
गोविन्द मिश्रा समस्तीपुर बिहार के रहने वाले हैं। इनका बचपन से ही सिनेमा के प्रति लगाव रहा है। 16 की उम्र से दिल्ली प्रेस मैगज़ीन के लिए लिखना शुरू किया और उसके बाद मुंबई का सफर शुरू हो गया।
गोविन्द मिश्रा बताते हैं कि बतौर डायरेक्टर मेरा पहला प्रोजेक्ट एक शार्ट फ़िल्म "धीमा ज़हर" था। अभी तक मेरी कई शार्ट फिल्में, एड फ़िल्म, डोकोमेंट्री फ़िल्म और फीचर फिल्म आ चुकी हैं और आने वाले प्रोजेक्ट्स में 2 फ़िल्म "सैंडल" और "द सीक्रेट डेथ" हैं।
गोविन्द मिश्रा डायरेक्शन के बारे में बताते हैं कि डायरेक्टर का काम सच में बड़ा चैलेंज वाला होता है। कहानी से लेकर जब तक फ़िल्म रिलीज़ नहीं हो जाती, तब तक आप को काम करना पड़ता है। फ़िल्म में बहुत सारे डिपार्टमेंट होते हैं, और डायरेक्टर को हर एक डिपार्टमेंट के बारे में जानकारी होनी चाहिए। फ़िल्म का हिट और फ्लॉप होना भी काफ़ी हद तक डायरेक्टर पर ही निर्भर करता है। इस लिए मेरी नज़र में डायरेक्शन एक बहुत ही ज़िम्मेदारी वाला काम है।
डायरेक्टर को हमेशा से अहमियत दी जाती रही है। पर आज कल का सिनेमा बहुत बदल गया है। आज छोटी-छोटी फिल्में बहुत कमाल कर रहीं हैं और लोग इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं। इस लिए फ़िल्म निर्माता हो या प्रोडक्शन हाउस डायरेक्टर को अब अहमियत देने लगे हैं। दर्शक भी जो फ़िल्म हिट होती है, उस के डायरेक्टर के बारे में जानना चाहते हैं जिससे डायरेक्टर की अहमियत बढ़ने लगी है।डायरेक्टर को कैप्टन ऑफ द शिप कहा जाता है। और किसी प्रोजेक्ट के हिट और फ्लॉप होने में काफ़ी हद तक डायरेक्टर का हाथ होता है। आप अपने प्रोजेक्ट पे जितना मेहनत करेंगे, आप की सफलता भी उतनी ही बड़ी होगी। इसलिए डायरेक्टर का किसी भी फ़िल्म के सफलता में बहुत बड़ा रोल होता है।