तबला महारथी उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन
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उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में निधन।
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उनका तबला एक विश्वव्यापी भाषा बोलता था, जो पीढ़ियों और सीमाओं से परे था।
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उन्हें तीन ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त हुए, और उन्हें 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
संगीत जगत ने आज एक महान हस्ती को खो दिया है। उस्ताद जाकिर हुसैन, जिन्होंने अपनी तबला वादन कला से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया, का 73 वर्ष की आयु में सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। उनके परिवार ने यह दुखद समाचार साझा किया है, जिससे संगीत प्रेमी और संगीतकार दोनों ही इस अपूरणीय क्षति से सदमे में हैं।
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था, और वे अपने पिता उस्ताद अल्ला रखा के तबला वादन के उत्तराधिकारी थे। उनका तबला न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में प्रभाव डालता था, बल्कि विश्व संगीत के क्षेत्र में भी उन्होंने एक विशेष स्थान बनाया था। उनकी तबला वादन कला ने सीमाओं को लांघा, पीढ़ियों को एकजुट किया और एक ऐसी भाषा बोली जो हर किसी को समझ आती थी।
उस्ताद हुसैन को उनके संगीत कार्यों के लिए कई पुरस्कार मिले, जिसमें तीन ग्रैमी पुरस्कार शामिल हैं, जो उन्होंने 2024 में एक ही रात में जीते थे। 2023 में, भारत सरकार ने उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्होंने अपने करियर में कई प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ सहयोग किया, जिसमें बीटल्स, जॉन मैकलाफलिन और विश्व संगीत के कई अन्य नाम शामिल हैं।
उनके निधन के बाद, सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियाँ दी जा रही हैं, जहां संगीतकारों, प्रशंसकों और प्रशंसकों ने उनके कार्यों को याद करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है। उनकी मृत्यु संगीत की दुनिया में एक युग के अंत की घोषणा करती है, लेकिन उनकी कला और संगीत का प्रभाव आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा।