किसान की संवेदनशील भावनाओं पर होता प्रहार

इन सब के बीच में जो राजनैतिक मसाले भूने जा रहे हैं, इससे गरीब मासूम किसान की कार्यप्रणाली पर बहुत असर पङ रहा है।
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किसान की संवेदनशील भावनाओं पर होता प्रहार
कुछ गिने-चुने असामाजिक तत्व इस आंदोलन को विनाशकारी बना रहे हैं और आम किसान की संवेदनशीलता के साथ खिलवाङ कर रहे हैं।

किसान आंदोलन की शुरूआत हुए लगभग दो महीने से अधिक हो गए हैं। इस आंदोलन की वजह से स्थानीय जनता में आक्रोश बढ रहा है। कहीं न कहीं किसान परिवार भी आहत हो रहे हैं। इन सब के बीच में जो राजनैतिक मसाले भूने जा रहे हैं, इससे गरीब मासूम किसान की कार्यप्रणाली पर बहुत असर पङ रहा है।  किसानों के मान-सम्मान और उनके व्यक्तिगत भाव का कोई मोल नहीं रह गया है।  कल तक जो किसानों को अन्नदाता मानते थे। अब वो लोग इनपर शक कर रहे हैं। कुछ गिने-चुने असामाजिक तत्व इस आंदोलन को विनाशकारी बना रहे हैं और आम किसान की संवेदनशीलता के साथ खिलवाङ कर रहे हैं। हमारे अन्नदाताओं की भावना का खयाल रखते हुए इनकी आर्थिक स्थिति पर ध्यान देना अति आवश्यक है।