इतिहास में दर्ज लियो परिवार का सच

किंग के बिना बेरबेरोव का परिवार अधूरा था। घर के बच्चे किंग के साथ ऐसे खेला करते थे, जैसे वह उनका छोटा भाई  हो ।
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इतिहास में दर्ज लियो परिवार का सच
किंग टू के साथ-साथ इस परिवारवालों ने एक माऊंटेन लायन नामक शेर को भी गोद लिया, जिसका नाम इन्होंने लाला रखा। किंग के समान लाला का रिश्ता बेरबेरोव परिवार से सही ढंग से स्थापित नहीं हो पाया।

यह उन दिनों की बात है, जब एक परिवार सोवियत यूनियन में प्रसिद्ध था। इसका कारण उनकी अनोखी सोच और रहन-सहन और जानवरों के पालन-पोषण की प्रवृति से थी।  बेरबेरोव के परिवार  की यह घटना 1970 में बाकू शहर सोवियत की है। इस परिवार के मशहूर होने की वजह एक ही सदस्य था। बेरबेरोव के परिवार के घर की बात करें, तो उनका घर 1000 स्क्वायर फीट में फैला था। यह एक चिडिया घर के समान था। उसमें कुत्ते ,बिल्ली ,सांप, जैसे कई जानवर बडे आराम से रहते थे। एकबार की बात है  वे अपने घर एक घायल शेर का बच्चा ले आए  तो कोइ हैरानी की बात नहीं हुई, क्योंकि पहले से ही उन्होंने कई जीव पाल रखे थे। संयोग से  बेरबेरोव  परिवार के मुखिया का नाम लियो था। जब यह शेर का बच्चा घर लाया गया था, तब उस शेर के  बच्चे को लकवा मार गया था। बेरबेरोव  परिवार नें उसकी खूब सेवा की और एक दिन वह अपने पैरो पर खडा हो गया। इस परिवार नें उस शेर के बच्चे का नाम किंग रख दिया । धीरे-धीरे यह शेर का बच्चा एक साल के अंदर एक विशाल रुप ले लिया। वह उस समय किसी को भी नुकसान नहीं पहुचाता था। अब उन लोगों को भी लगने लगा था कि किंग के बिना बेरबेरोव का परिवार अधूरा था। घर के बच्चे किंग के साथ ऐसे खेला करते थे, जैसे वह उनका छोटा भाई  हो । एक बार लियो ने किंग को जू को देने की सोची, लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया। किंग को बेरबेरोव  परिवार की आदत हो गई थी। जल्द  ही किंग के लिए फिल्म में काम करने के ऑफर आने लगे। सबकुछ अच्छा चल रहा था। बेरबेरोव परिवार फिल्मों में आने लगा था। किंग ने प्यार के साथ-साथ शौहरत भी दिलाई थी। एक दिन सेंडपिटर्स सिटी में बेरबेरोव  परिवार एक फिल्म की शूटिंग करने गया था। यही वह दिन था, जो उनके जिंदगी का सबसे भयानक दिन था। अलेकजेंडर नाम के एक पुलिसवाले ने किंग को खतरनाक समझकर उसको गोली से मार दिया। पूरा परिवार गम में डूब गया। अब किंग दुनिया में नहीं था और वह अब कभी-भी नहीं लौट सकता था। इससे बेरबेरोव के घर में सन्नाटे जैसा माहौल पैदा हो गया था। इसको हसनुमा बनाने के लिए परिवार ने एक और शेर गोद लेने की सोची और एक शेर का बच्चा लेकर आए। उसका नाम किंग टू रखा। किंग टू के साथ-साथ इस परिवारवालों ने एक माऊंटेन लायन नामक शेर को भी गोद लिया, जिसका नाम इन्होंने लाला रखा। किंग के समान लाला का रिश्ता बेरबेरोव परिवार से सही ढंग से स्थापित नहीं हो पाया। दोनों केवल लियो की ही बात माना करते थे। 1978 में लियो को दिल का दौरा पङा और वह बेरोबेरोव परिवार को इन दोनों शेर के साथ अकेला छोङ कर चले गए। लियो के मरने के बाद निना जू में शेरो को भेजना चाहती थी, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। 1980 में निना को लाला के जोर से गुर्राने की आवाज आई। उसने देखा कि कोई शराबी लाला को पत्थर मार रहा था। निना ने उसे शांत कराया, लेकिन लाला अभी भी परेशान था, तभी एक औरत वहां से गुजरी, तब लाला ने उस औरत पर हमला कर दिया। उसे बचाने के चक्कर में 14 साल के बच्चे को कुर्बानी देनी पङी। यह बच्चा कोई और नहीं निना का ही बेटा रोमा था। आसपास के लोगों ने यह सूचना पुलिस को दी, पुलिस ने आते ही लाला और किंग टू को गोली मार दी। पति और बेटे को अपने सामने मरते देखने के बाद भी वह लाला को इस बात के लिए दोषी नहीं मानती है। अपने परिवार के खोने का गम उसे हमेशा रहेगा।