भारतीय राष्ट्रीय ध्वज इतिहास और महत्व

ब्रिटिश राज से १५ अगस्त १९४७ को आजाद होने के कुछ दिनों पहले ही भारत के राष्ट्रीय ध्वज को निर्वाचक असेंबली ने २२ जुलाई १९४७ को स्वीकारा था। १५ अगस्त १९४७ से २६ जनवरी १९५० तक यही हमारा स्वतंत्र ध्वज था
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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज इतिहास और महत्व
सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच की पट्टी पर सफेद रंग और सबसे नीचे जाता रंग। केसरिया रंग बलिदान साहस और तकाद का प्रतीक होता है। सफेद रंग शांति, स्वच्छता, सत्य और सद्भाव को निशानी है

 हर एक आजाद देश का अपना - अपना एक ध्वज है। एक आजाद देश की यही सबसे बड़ी पहचान होती है; उस देश का अपना ध्वज । हमे शालेय जीवन से अपने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में बताया जाता है। उसका करना महत्व है । ब्रिटिश राज से १५ अगस्त १९४७ को आजाद होने के कुछ दिनों पहले ही भारत के राष्ट्रीय ध्वज को निर्वाचक असेंबली ने २२ जुलाई १९४७ को स्वीकारा था। १५ अगस्त १९४७ से २६ जनवरी १९५० तक यही हमारा स्वतंत्र ध्वज था। भारतीय ध्वज को ' तिरंगा ' भी कहा जाता है ।भारत में अलग - अलग धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं; जिनमें भाषा, पहनावा, रीति - रिवाज समेत कई अन्य तरह की असमानताएं हैं; हम देखते है की इसकी वजह से कई बार आपसी मतभेद भी देखने मिलता है; लेकिन इतनी सारी विविधता होने के बावजूद भी भारत देश में एकता है। क्या आप जानते है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा क्यों कहा जाता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा क्यों कहा जाता है, भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से मिलकर बना है इसे ' तिरंगा ' कहा जाता है ।

 अब हम जानकारी लेते है भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास के बारे में। १५ अगस्त १९४७ मे जब हमारा भारत देश अंग्रेज़ो से आजाद हुआ था। आजादी के वक्त अलग - अलग तरह के राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल किया गया था।  और २२ जुलाई १९४७ को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान लाया था। यह बैठक १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेज़ो से बाहर की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पहले ही कि गई थी। इसे १५ अगस्त १९४७ और २६ जनवरी १९५० के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और इसके बाद भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया और भारत में तिरंगे का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं और बीच मे अशोक चक्र । सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच की पट्टी पर सफेद रंग और सबसे नीचे जाता रंग। केसरिया रंग बलिदान साहस और तकाद का प्रतीक होता है। सफेद रंग शांति, स्वच्छता, सत्य और सद्भाव को निशानी है। हरा रंग उर्वरता, खुशहाली, प्रगति और समृद्धि का प्रतीक है। ध्वज में लगने वाला धर्म चक्र ३ री शताब्दी के मौर्य शासक सम्राट अशोक के सारनाथ से किया गया है। यह चक्र हिएवीएन साईकिल ( चक्र ) और मृत्यु की गतिहिनता को दर्शाता है ।

 राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी शैक्षणिक संस्था ( स्कूल, कॉलेज, स्पोर्ट कैंप, स्काउट कैंप इत्यादि ) जगहों पर पूरे सम्मान के साथ फहरा सकते है। फहराते समय राष्ट्र वचन लेना भी बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय ध्वज को फेकना नहीं चाहिए। उसका अपमान नहीं करना चाहिए। यदि हमे राष्ट्रध्वज जमीन पर गिर हुआ दिखे तो उसे उठाना नहीं चाहिए और योग्य जगह पर रखना चाहिए; क्योंकि वह अपने राष्ट का अपना ध्वज है; और उसका अपमान नहीं करना चाहिए ।