अमेरिका में अडानी रिश्वत कांड के बाद भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का मामला सामने आया
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अमेरिकी कोर्ट ने तीन कंपनियों पर जुर्माना लगाया।
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भारतीय रेलवे, इंडियन ऑयल और HAL के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप।
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एक कंपनी के मालिक ने भारत को "चोर और भ्रष्ट" कहा।
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अडानी समूह के बाद नया रिश्वत कांड सामने आया।
अमेरिका में अडानी रिश्वत कांड के बाद एक नया मामला सामने आया है जिसमें तीन अमेरिकी कंपनियों को भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। ये कंपनियां भारत में टेंडर और काम हासिल करने के लिए इंडियन रेलवे, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए जिम्मेदार पाई गईं।
इस मामले में अमेरिकी कोर्ट ने इन कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन कंपनियों ने भारतीय बाजार में जगह बनाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लिया। एक कंपनी के मालिक ने कोर्ट में बयान दिया कि भारत में उन्हें "चोर और भ्रष्ट सरकार" का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें रिश्वत देनी पड़ी।
Big BREAKING 📢
— Deep Aggarwal (@DeepAggarwalinc) December 21, 2024
अमेरिका में फिर बजा मोदी का डंका, भारत बना महाभृष्ट देश।
अमेरिका में अडानी रिश्वत कांड के बाद रिश्वत कांड में अमेरिका की तीन कंपनियां फंसी, जिन्होंने भारत में टेंडर और काम करवाने के लिए भारतीय कंपनियां INDIAN RAILWAYS, INDIAN OIL और HAL के अधिकारीयों को रिश्वत… pic.twitter.com/n634p5C1Jh
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इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर भी अमेरिका में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगे। अडानी के मामले में, आरोप थे कि उन्होंने सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी। इसी कड़ी में, अमेरिकी कंपनियों के नाम भी सामने आए हैं, जिन्होंने समान प्रक्रिया अपनाई।
इन सभी घटनाक्रमों ने भारत की छवि को एक "महाभृष्ट देश" के रूप में चिह्नित किया है, जहां व्यापारिक हितों को सुरक्षित करने के लिए भ्रष्टाचार आम बात हो गई है। यह मामला न केवल भारतीय प्रशासनिक प्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की व्यावसायिक प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है।
इस संदर्भ में, यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने अभी तक इन भारतीय अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जो रिश्वत में शामिल थे। इससे भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की प्रभावशीलता पर भी सवालिया निशान लगता है।
इस मामले का अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी व्यापक कवरेज मिल रहा है, जिससे भारत की छवि को और अधिक नुकसान पहुंच रहा है।