हिंदी सिनेमा के बैडमैन गुलशन ग्रोवर बचपन में बेचा करते थे डिटर्जेंट पाउडर, जाने क्यों 

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हिंदी सिनेमा में हीरो के बारे में तो सब बात करते है लेकिन विलेन के बारें में इटना कोई ध्यान नहीं देता। ज़रा सोचिए अगर फ़िल्म में विलेन ना हो तो हीरो की क्या पहचान। फ़िल्म इंडस्ट्री में एक ऐसे ही विलेन आज भी है जिसे दुनिया ‘बैडमैन’ के नाम से जानती हैं। ‘बैडमैन’ यानी गुलशन ग्रोवर। आज गुलशन ग्रोवर का जन्मदिन है और इस मौके पर हम उनकी फिल्मी करियर से जुड़े कई किस्से के बारे में बताएंगे। 

बता दें कि गुलशन ग्रोवर ने अपने फिल्मी करियर में अबतक 400 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके है। गुलशन ग्रोवर का जन्म 21 सितंबर 1955 को नई दिल्ली में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से ही की है. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में मास्टर्स किया है। 

गुलशन ग्रोवर का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता था. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि, “मैंने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं. मेरा बचपन बहुत बुरे हालातों से गुजरा है. मुझे आज भी याद है कि मेरा स्कूल दोपहर का था लेकिन मैं सुबह ही अपनी यूनिफॉर्म पहन कर निकल जाया करता था. हर सुबह मैं अपने घर से दूर बड़ी-बड़ी कोठियों में बर्तन और कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट पाउडर बेचा करता था और अपनी स्कूल के फीस दिया करता था।'

गुलशन ग्रोवर की फिल्मों में, हम पांच, सोनी महिवाल, यस बॉस, दूध का कर्ज, इज्जत, सौदागर, कुर्बान, राम लखन, इंसाफ कौन करेगा, अवतार, क्रिमनल, मोहरा, दिलवाले, हिंदुस्तान की कसम, हेराफेरी, इंटरनेशनल खिलाड़ी के अलावा कई सारी फिल्में हैं, जो कि उनकी लिस्ट में शामिल हैं. उन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड, जर्मन, ऑस्ट्रेलियन, ईरानी और ब्रिटेन जैसी कई भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया है। 

साल 1997 में, वो हॉलीवुड फिल्म ‘द सेकेंड जंगल बुक: मोगली एंड बबलू’ में काम करने वाले पहले बॉलीवुड अभिनेता बने. उन्हें बीबीसी पुरस्कार, जायंट्स अवॉर्ड, स्टारडस्ट बेस्ट एक्टर अवॉर्ड और न्यूयॉर्क सिटी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड जैसे कई पुरूस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।