जानिए ऑस्कर में जाने वाली फिल्म का नाम इस दिन होगी घोषणा, आखिर किन पैमानों पर खरा उतरना पड़ता है ऑस्कर जीतने के लिए
ऑस्कर पुरस्कारों की हर साल इंटरनेशनल कैटेगरी का मुकाबला करने के लिए दुनिया के तमाम देशों से उनका प्रतिनिधित्व करने वाले फिल्में भेजी जाती हैं. इस कैटेगरी को पहले 'बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज' फिल्म अवार्ड कहा जाता था साल भर में सारे भारतीय भाषाओं की तमाम फिल्मों मे से जिस फिल्म का चुनाव होता है उसे ऑस्कर के लिए भेजा जाता है इसमें सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. तो चलिए जानते हैं कि इस बार कौन सी फिल्म है जिसमें ऑस्कर में अपनी जगह बनाई.
फिल्मों का इकट्ठा होना
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की हर साल ऑस्कर में फिल्में भेजने के लिए जूरी का चयन किया जाता है. जिन निर्माताओं को भी लगता है कि उनकी फिल्म ने कुछ कमाल किया है और ऑस्कर में जाने चाहिए वह अपनी फिल्मों को जमा कर देते हैं. अब फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की जूरी 16 सितंबर से इन फिल्मों को देखना शुरू करेगी.
15 दिन तक चलेगी स्क्रीनिंग
जिस फिल्म का चुनाव किया जाता है वह भारत की तरफ से भेजी जाने वाली अधिकारिक फिल्म होती है. इसे ऑस्कर के लिए नामित फिल्म नहीं कहा जा सकता है. इस फिल्म को ऑस्कर अकादमी तक दुनिया के तमाम देशों से आई ऐसे दर्जनों देशों से मुकाबला करना होता है और उसमें सफल होने के बाद ही अंतिम पांच फिल्मों में जगह बना पाती है.
कैसे होता है जूरी का निर्माण
ऑस्कर की इंटरनेशनल फीचर फिल्म अवॉर्ड कैटेगरी के लिए भारत से एक फिल्म भेजने वाली संस्था फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ही इसके लिए जूरी का चयन करती है. इस जूरी में यूनियनों की किसी भी स्थायी कमेटी के लोग शामिल नहीं होते. जूरी में एक बार शामिल हो चुका शख्स दोबारा इसमें शामिल नहीं हो सकता.
अब तक सिर्फ तीन फिल्में नामित
भारत की तरफ से ऑस्कर पुरस्कार के लिए साल 1957 में फिल्म ‘मदर इंडिया’ भेजी गई थी जो बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में नामित होने में भी सफल रही. इसके बाद भारत की दो फिल्में ही अंतिम चरण चक पहुंच सकी हैं, इनमें 1988 में भेजी गई ‘सलाम बॉम्बे’ और साल 2001 में भेजी गई फिल्म 'लगान' शामिल हैं.