कोरोना के साथ बर्ड फ्लू और उसपर राजनैतिक ट्रायल
अभी कोरोना गया ही नहीं है, उसपर बर्ड फ्लू रोग का आक्रामक प्रहार दिल को डरा देने वाला है। कोरोना महामारी के आतंक से जनता उभरी भी नहीं है और अब बर्ड फ्लू की आहट से डर और भय मन में बैठ गया है। जब कोरोना जैसी महामारी में जनता ने संयम और हिंम्मत से काम लिया है, तो यह जनता बर्ड फ्लू रोग को आसानी से मात दे सकती है।
अभी कुछ ही दिन पहले वैक्सीन का ट्रायल चालू हुआ है। कोरोना से निजात पाने की एक उम्मीद जागी है और इसपर भी खतरनाक राजनीति चालू हो गयी है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी का यह कहना कि हम बीजेपी का वैक्सीन नहीं लगाएंगे। यह बात कहाँ तक उचित है। यह वैक्सीन बीजेपी की है, यह किसने कह दिया? यह राजनैतिक ट्रायल नहीं तो और क्या है?
एक बङे नेता होने के बाद इस तरह की ऊटपटांग बयानबाजी कहां तक शोभनीय है। कम से कम अपने पद का तो खयाल रख लेते। एक अनपढ गंवार ही उनकी बात पर हामी भर सकता है। वैक्सीन पर बीजेपी का नाम नहीं लिखा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अनुमति मिलने पर ही इस वैक्सिन को लाँच किया गया है। यह कोरोना से बचाव के लिए बनाया गया है.
ताकि करीब एक साल से जिस महामारी से जनता जूझ रही है उससे छुटकारा मिल सके। इन्हें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है, इन्हें मात्र कुर्सी की चिंता है शायद इसीलिए इस तरह की बयानबाजी करते हैं। जनता को खुद ही सोच-समझकर निर्णय लेना है कि उनके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा है। इन राजनेताओं के मसले में न पङें, वरना जिंदगी को सुकून से नहीं जिया जा सकेगा। यह बयानबाजी जनता को उलझाने का एक मात्र जरिया