उत्तराखंड के रानीखेत, अल्मोड़ा में बना देश का पहला फर्नरी
फर्न क्या होते है ? और इनका क्या उपयोग होता है?
Updated: Sep 20, 2021, 17:09 IST
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उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद के रानीखेत में 12 सितम्बर 2021 को फर्न (टेरिडोफाइट) के एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ, डॉ नीलांबर कुनेथा द्वारा 120 विभिन्न प्रकार के फ़र्न वाले एक ओपन-एयर फ़र्नरी का उद्घाटन किया गया। यह देश की पहली प्राकृतिक फर्नरी है, इसे केंद्र सरकार के CAMPA योजना के तहत तीन साल की अवधि में उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा विकसित किया गया है। यह फर्नेरी समुद्रतल से लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसको 4 एकड़ के क्षेत्र में विकसित किया गया है।
फ़र्न पौधों के सबसे प्राचीन समूहों में से एक है जो बीजाणुओं के माध्यम से प्रजनन करते हैं। सर्वप्रथम इन्हीं पौधों के समूह में विकसित संवहनी प्रणाली पाई गई थी। फर्न का मुख्य उपयोग सजावटी पौधों,औषधी और खाद्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इनका उपयोग प्रदूषित जल से भारी धातुओं को छानने के लिए भी किया जाता है और ये नाइट्रोजन स्थिर करने वाले अच्छे एजेंट भी हैं।
मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान), भारतीय विदेश सेवा (IFS) संजीव चतुर्वेदी ने कहा, "फर्नरी का मुख्य उद्देश्य विभिन्न फ़र्न प्रजातियों का संरक्षण करना है और शोध को बढ़ावा देते हुए आम जनता के बीच इसकी पारिस्थितिक भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाना है। "
फर्नरी में लगभग 30 प्रजातियां औषधीय महत्व की हैं, जिनमें हंसराज (एडियंटम वेनुस्टम) भी शामिल है। हंसराज आयुर्वेद के साथ-साथ तिब्बती चिकित्सा पद्धति में एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है और इसे कई बीमारियों के उपचार के रूप में प्रयोग किया गया है। फ़र्न की कुछ प्रमुख पौष्टिक खाद्य प्रजातियों में से एक लिंगुरा (डिप्लाज़ियम एस्कुलेंटम) है, जो कि उत्तराखंड की पहाड़ियों में एक लोकप्रिय सब्जी के रूप में विख्यात है।