सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा न्यूनतम शेष राशि न रखने वाले खाताधारकों से करोड़ों की वसूली पर सरकार की प्रतिक्रिया

राज्यसभा में @rssurjewala जी ने आम जनता से वसूले जा रहे शुल्कों पर उठाए सवाल

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राज्यसभा में आज @rssurjewala जी ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा न्यूनतम शेष राशि न रखने वाले खाताधारकों से करोड़ों रुपये की वसूली पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे आम जनता के खिलाफ 'वर्चुअल एक्सटॉर्शन' करार दिया और सरकार से इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा न्यूनतम शेष राशि न रखने पर लगाए जा रहे शुल्क से गरीब और मध्यमवर्गीय खाताधारक विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। ये वे लोग हैं जिनके पास पहले से ही सीमित संसाधन हैं और बैंक शुल्क के अतिरिक्त बोझ को सहन करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। @rssurjewala जी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए पूछा कि सरकार इस 'अत्याचार' को रोकने के लिए क्या कदम उठाएगी।

उन्होंने बताया कि बैंकों द्वारा न्यूनतम शेष राशि न रखने पर लगाए जा रहे शुल्क को कई बार अनावश्यक और अनुचित बताया गया है। बैंकों का यह तर्क है कि न्यूनतम शेष राशि रखने से उन्हें परिचालन लागत को कवर करने में मदद मिलती है, लेकिन आम जनता के लिए यह नियम भारी पड़ रहा है। @rssurjewala जी ने सुझाव दिया कि सरकार को बैंकों के इस रवैये पर सख्त कदम उठाने चाहिए और इस तरह की वसूली को रोकना चाहिए जिससे आम जनता पर वित्तीय बोझ न पड़े।

सरकार की तरफ से इस सवाल पर क्या प्रतिक्रिया होगी, यह देखना बाकी है। आम जनता उम्मीद कर रही है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी और बैंकों की इस 'वर्चुअल एक्सटॉर्शन' को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। यदि सरकार इस मुद्दे पर कदम उठाती है, तो यह आम जनता के लिए राहत की बात होगी और उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार लाने में मददगार साबित हो सकती है।