देवेन्द्र कुमार बहल को मिला साहित्यिक पत्रकारिता पुरुस्कार
मिडिया जगत से एक अच्छी खबर सुनने को मिल रही है. जहां मीडिया विमर्श की ओर से साहित्यिक पत्रिका ‘अभिनव इमरोज़’ के संपादक देवेन्द्र कुमार बहल को 13वें पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया है. वहीं इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे. समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. कुमुद शर्मा मुख्य वक्ता के तौर पर एवं प्रख्यात साहित्यकार गिरीश पंकज तथा दैनिक जागरण के एसोसिएट एडीटर अनंत विजय विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए.
वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रखते हुए अच्युतानंद मिश्र ने कहा कि हमारी संस्कृति लोक और शास्त्र दोनों से जुड़ी हुई है. इसलिए अगर आप समाज को समझना चाहते हैं, तो आपको साहित्य को समझना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि आज साहित्यिक पत्रकारिता में भाषा की गिरावट हुई है, जिसका असर समाज और उसके मूल्यों पर पड़ता है. इसलिए पत्रकारों का यह कर्तव्य है कि वे भाषा का ध्यान रखें. इस मौके पर देवेन्द्र कुमार बहल ने कहा कि आप जो कुछ भी करना चाहते हैं, उसके पीछे जुनून होना चाहिए. साहित्यिक पत्रकारिता ने मुझे यह सिखाया कि आप रहें या न रहें, आपके शब्द हमेशा जिंदा रहेंगे.
इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि हमारी पत्रकारिता आज बाजार के हिसाब से चल रही है, लेकिन साहित्यिक पत्रकारिता कभी भी बाजार का हिस्सा नहीं हो सकती. दैनिक जागरण के एसोसिएट एडीटर अनंत विजय ने कहा कि राजनीतिक पत्रकारिता से ज्यादा रुचिकर साहित्यिक पत्रकारिता है, क्योंकि संसद से ज्यादा संस्कृति में आनंद है.
‘मीडिया विमर्श’ के कार्यकारी संपादक प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि यह पुरस्कार प्रतिवर्ष हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है. इस अवॉर्ड का यह 13वां वर्ष है. मीडिया विमर्श’ द्वारा शुरू किए गए इस अवॉर्ड के तहत ग्यारह हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र दिया जाता है.