खुशखबरी: भारत बायोटेक शुरू करेगा नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन
भारत में लोगो के लिए खुशखबरी. जी हां अब जल्द ही नाक से दी जाने वाली यानी इंट्रानेजल वैक्सीन आ सकती है. कोवैक्सिन बनाने वाली हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ही इस वैक्सीन को भी बना रही है. अगर ये लैबोरेटरी में जानवरों पर यह सफल रही है. तो इंसानों के लिए यह वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं, ये पता लग जाएगा. वहीं इसकी जांच के लिए भारत के ड्रग रेगुलेटर की एक्सपर्ट कमेटी ने भारत बायोटेक को फेज-1 क्लीनिकल ट्रायल्स की मंजूरी दे दी है.
चलिए अब जानते हैं कि क्या होती है नाक से दी जाने वाली वैक्सीन? बता दें कि जिस तरह मांसपेशियों में इंजेक्शन से लगाई जाने वाली वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं, उसी तरह नाक में कुछ बूंदें डालकर दी जाने वाली वैक्सीन को इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है. यह एक नेजल स्प्रे की तरह है. सबसे अच्छी बात यह है कि इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है. जिन भी लोगो को इंजेक्शन से डर लगता है उनके लिए राहत की खबर है.
दरअसल कोरोनावायरस समेत कई माइक्रोब्स (सूक्ष्म वायरस) म्युकोसा (गीला, चिपचिपा पदार्थ जो नाक, मुंह, फेफड़ों और पाचन तंत्र में होता है) के जरिए शरीर में जाते हैं. नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है. सीधी बात यह है कि नेजल वैक्सीन वहां लड़ने के लिए सैनिक खड़े करती है, जहां से वायरस शरीर में घुसपैठ करता है. यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है. इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं. इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सिरिंज का कचरा भी कम होगा.वहीं नेजल वैक्सीन बच्चों में कोरोनावायरस को रोकने में मददगार साबित होगी.
गौरतलब है कि इस समय भारत में दो वैक्सीन को मंजूरी मिली है- कोवैक्सिन और कोवीशील्ड