उत्तराखंड में बना भारत का पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डन
क्रिप्टोगैम्स क्या होते हैं?
इनका क्या महत्व है?
भारत का पहला क्रिप्टोगेमिक गार्डन का शुभारंभ, उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले के चकराता वन प्रभाग के अंतर्गत देवबंद क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता और नौटियाल के द्वारा 11 जुलाई 2021 को किया गया। बीज रहित वनस्पतियों को क्रिप्टोगेम्स कहा जाता है । क्रिप्टोगेम लोअर प्लांट्स हैं जिसका अर्थ अदृश्य प्रजनन होता है। इनमें बीजणुओं के द्वारा प्रजनन होता है। इस समूह में कवक, शैवाल, लाइकेन, ब्रायोफाइटा तथा फर्न की प्रजातियां आती हैं। यह उद्यान 3 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है तथा समुद्र तल से लगभग 2700 मीटर के ऊंचाई पर स्थित है। इस आद्र जलवायु वाले क्षेत्र में बांज तथा देवदार के वृक्ष प्रचुर मात्रा में मिलते हैं जोकि इन क्रिप्टोगेमिक प्रजातियों की वृद्धि एवं विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न करते हैं। इस उद्यान में 50 क्रिप्टोगेमिक पादपों की जातियां पाई जाती है, जोकि इस क्षेत्र को प्रदूषण रहित बनाने में अहम भूमिका निभाते हैंं ।
क्रिप्टोगेम्स सबसे पुरानी पौधों की प्रजातियों में से एक हैं, जो कि जुरासिक युग से अस्तित्व में हैं । यह ग्रह पर जीवन बनाने के लिए पौधों का एक अनिवार्य समूह है।
देहरादून के राज्य वन विभाग के अनुसार, क्रिप्टोगेमिक गार्डन खोलने का मुख्य उद्देश्य लोगों को इन पौधों की प्रजातियों के बारे में जागरूक करना और इनके विकास को बढ़ावा देना है।