सेंट्रल विस्टा पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में तीखी बहस

प्रोजेक्ट को बताया गया “मौत का किला”
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सेंट्रल विस्टा पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में तीखी बहस

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में चल रहे निर्माण पर रोक लगाने की मांग वाली एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान तीखी बहस हुई। यहां तक कि ‘ऑशविट्ज़’ का हवाला दिया गया और परियोजना को “मौत का किला” कहा गया। 
 

बता दें कि ऑशविट्ज़ का अभिप्राय उस जगह से है, जहां नाज़ियों द्वारा यहूदियों पर जुल्म किए जाते थे। कोर्ट में केंद्र ने दलील दी कि जनहित याचिका “कुछ व्यक्तियों के घमंड को संतुष्ट करने” के लिए है। जवाब में याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सरकार संदेशवाहक को ही गोली मारने का काम कर रही है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में दिए जा रहे संदेश की परवाह नहीं कर रही है। 

इस मौके पर सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए याचिकाकर्ता पर निशाने पर लिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सेंट्रल प्रॉजेक्ट कोरोना का निर्माण कार्य कोरोना गाइडलाइंस के तहत हो रही है। मेहता ने कहा, "जिन्हें सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पसंद नहीं है या वे उसके ख़िलाफ़ हैं, किसी भी वजह से, वे लोग तरह तरह के रूप धर के अदालतों में आ रहे हैं। इस बात पर ग़ौर करने की ज़रूरत है कि जब शादियों में 50 लोगों के जमा होने की, अंतिम संस्कारों में 20 से ज्यादा लोगों के होने और ट्रांसपोर्ट 50 फीसदी क्षमता के साथ चलने की इजाजत है, उसी तरह ऐसे निर्माण कार्यों को भी जारी रहने की इजाज़त है जहां पर मज़दूर साइट पर ही रह रहें हों।