पंजाब बोर्डर स्टेट है, इसलिए किसी 'योग्य' को मुख्यमंत्री होना चाहिए, बकवास तर्क है। -रवीश कुमार ब्लॉग
पंजाब बोर्डर स्टेट है। यहां कोई भी मुख्यमंत्री नहीं हो सकता। कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटाए जाने की ख़बरों के बीच यह तर्क सरकार दिया गया। देखने वालों को लगा कि इसमें कितना दम है। यह तर्क तब भी चला जब पंजाब के इतिहास में पहली बार दलित मुख्यमंत्री बना। पंजाब बोर्डर स्टेट है, यह पंक्ति अपने आप में भ्रामक किन्तु शक्तिशाली थी जिसका चश्मा लगा कर लोग वैसे ही देखने लगे। जो तर्क कैप्टन के पक्ष के लिए गढ़ा गया था अब वही तर्क दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के ख़िलाफ़ काम आने लगा। बार बार यह तर्क कहीं से सरका दिया जाता है।
क्या पंजाब अकेला बोर्डर स्टेट है? गुजरात की सीमा भी पाकिस्तान से लगती है। वहां मुख्यमंत्री बनाते समय क्या इस तरह की क्वालिटी के बारे में सोचा जाता है? पहले तो मुख्यमंत्री बदला जा रहा है, यह मुख्यमंत्री को ही पता नहीं था। दूसरा, पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया। क्या भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बनने से पहले रक्षा मामलों के जानकार थे, सेना में कैप्टन थे? बिल्डर थे।
उसी तरह उत्तराखंड की सीमाएं भी चीन से लगती हैं। वहां त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत को बनाया गया और अब पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बने। इन तीनों में कौन रक्षा मामलों का जानकार है क्योंकि इन्हें चीन की सीमा से लगने वाले राज्य का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है। ये चीन के संबंध में विशेष रुप से क्या भूमिका निभाते हैं? उसी तरह से आप हिमाचल प्रदेश को देख सकते हैं। क्या चीन कम ख़तरनाक है?
अब आप पूर्वोत्तर आ जाइये। यहां के राज्यों में कब मुख्यमंत्री बदल जाए और कब लोग दल बदल लें इस पूरी प्रक्रिया में एक बार भी नहीं सोचा जाता है कि ये राज्य बार्डर स्टेट हैं। चीन, भूटान, बांग्लादेश और म्यानमार की सीमाओं से लगे हैं। अभी हाल ही में नागालैंड में विपक्ष की पार्टी भी सरकार में शामिल हो गई। बीजेपी भी पिपुल्स डेमोक्रेटिक अलाएंस में शामिल है और सरकार में हैं। कोई विपक्ष नहीं है।
मणिपुर और असम भी बोर्डर स्टेट हैं। असम में बीजेपी की सरकार है। मणिपुर के गठबंधन सरकार में बीजेपी भी शामिल हैं। असम की सीमा भूटान और बांग्लादेश से लगती है। मणिपुर की सीमा म्यानमार से लगती है। असम और मणिपुर के बीच क्या हो रहा है? दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को हाल ही में गोली चल गई थी। दो राज्यों के बीच युद्ध जैसा माहौल हो गया था। केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने में वक्त लग गया। क्या इस तरह से बोर्डर स्टेट में होना चाहिए?
अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन, भूटान और म्यानमार से लगती है। कभी आपने चिन्ता भी कि यहां कौन मुख्यमंत्री है? यहां की राजनीति में क्या होता है? एक मुख्यमंत्री ने आत्महत्या कर ली थी जिसे लेकर कई तरह के सवाल उठे थे। आप इस प्रसंग के बारे में इंटरनेट पर ख़ुद सर्च करें तो अच्छा रहेगा।
मिज़ोरम की पांच सौ किलोमीटर से अधिक की सीमा म्यानमार से लगती है। म्यानमार से शरणार्थी आए तो केंद्र की परवाह न करते हुए मिज़ोरम ने म्यानमार के शरणार्थियों को शरण देना शुरू कर दिया। यह काम बिल्कुल ठीक था। भारत से जितने लोग दूसरे देश में जाकर बसते हैं और अच्छा कमाते हैं उन्हें पता होगा कि ऐसी नीतियां कितनी ज़रूरी होती हैं। मिज़ो और म्यानमार के इलाके से आए लोगों में कई तरह की सांस्कृति समानताएं हैं। जब मिज़ोरम ने यह फैसला किया तो केंद्र से याद दिलाया गया कि भारत ने शरणार्थी का दर्जा देने के लिए 1951 में संयुक्त राष्ट्र के कंवेंशन पर दस्तख़त नहीं किया है। मिज़ोरम ने कह दिया कि हम शरणार्थियों को वापस म्यानमार मरने के लिए नहीं भेज सकते हैं। मिज़ोरम में म्यानमार से आए हज़ारों शरणार्थी चालीस चालीस साल से रह रहे हैं। अब मिज़ोरम ने म्यानमार से आए शरणार्थियों के बच्चों को स्कूलों में एडमिशन देना शुरू कर दिया है। क्या आप जानते हैं कि मिजो़रम के मुख्यमंत्री सुरक्षा के कितने बड़े एक्सपर्ट हैं और बोर्डर स्टेट होने के कारण उनमें क्या ख़ास योग्यता होनी चाहिए?
सीमाओं पर प्रबंधन का दायित्व केंद्र सरकार का है। उसके लिए एक स्थायी व्यवस्था होगी ही। उनका ध्यान रखकर मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री का भी नहीं। लद्दाख में जब चीन के साथ विवाद हुआ तब प्रधानमंत्री कई हफ्ते तक चुप रहे। जब बोले तो चीन का नाम नहीं ले सके। आज भी विवाद जारी है। लद्दाख में कौन प्रशासक है, आप नाम तक नहीं जानते होंग।
इसलिए यह पूरी तरह बकवास है कि पंजाब एक बोर्डर स्टेट है और इस कारण से यहां के किसी मुख्यमंत्री में ख़ास लक्षण होने चाहिए।