कोरोना के बाद नई बीमारी के साए में उत्तर प्रदेश 

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Scrub typhus: how it occurs

उत्तर प्रदेश में खाकर कि पश्चिमी उतर प्रदेश के कुछ जिलों में कोविड के बाद अचानक एक और बीमारी फ़ैलने लगी है, इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि इससे अब तक 144 लोगों कि मौत हो चुकी है, सरकारी रिपोर्ट हालाँकि 51पर ही अटकी है। फिरोजाबाद से शुरू हुई यह बीमारी अब तेज़ी से फ़ैल रही है यहाँ से 80 मामले मिले हैं। बच्चों को तेज़ी से संक्रमित करती यह बीमारी अब तक ४० नौनिहालों के लिए जानलेवा साबित हुई है। चिकित्सा शास्त्र कहता है कि ये एक बैक्टीरिया से होने वाली एक बीमारी है और इस बैक्टीरिया का नाम है ओरेन्शिया सुसुगामोशी, जापानी नाम है न, जी इसे जापानी वैज्ञानिकों ने खोजा था कुछ 1920  के आस-पास। और ये बैक्टीरिया ऐसे ही नहीं फैलता, इसे फ़ैलाने में मदद करता है एक कीड़ा, जिसे चीग्गर्स नाम से जाना जाता है, इसी कीड़े के शरीर में रहता है यह बैक्टीरिया। और इस कीड़े के रहने कि होती है नाम एवं आर्द्र झाड़ियां। बारिश का मौसम इसका प्रजनन का मौसम होता है, और इस दौरान ये ढेर सारे अंडे देता है। इसके लार्वा खेतो के किनारे झाड़ियों में पत्तों पर, या किसी सड़क के आस पास झाड़ियों में पत्तों से चिपके होते हैं यही पर विकसित होकर ये माइट्स यानि छोटे कीड़े का रूप ले लेते हैं।  आमतौर पर चूहों को काटने और संक्रमित करने वाला यह कीड़ा इसी माइट्स वाली अवस्था में ही काटता है और कभी-कभी अचानक झाड़ियों के पास से गुजरते हुए आदमियों को भी काट सकता है।

इसके काटने से ही बैक्टीरिया ममुष्य के शरीर में पहुँच जाता है। यही बैक्टीरिया मनुष्य के शरीर में ज्वर का करण बनता है और इसी ज्वर को नाम दिया है "स्क्रब टाइफस" स्क्रब अर्थात कीड़े के काटने से पैदा हुई खरोंच और उसके कारण ऐसा ज्वर होना जो टाइफाइड से मिलता जुलता हो। समय पर इलाज न मिले तो ये मौत का कारण भी बन सकता है। शरीर में ऐसे खुजली, ज्वर, या शरीर पर चकत्ते अथवा छाले होने जैसी स्थिति में डॉकटर को तुरंत सूचित करें। इसका पता लगाने के लिए इम्युनोफ्लोरेसेन्स एलिसा और वेन-फ्लेक्स टेस्ट किये जाते हैं।

बारिश के मौसम में बाढ़ और लगातार जलभराव के कारण होती नमी के कारण यह कीड़ा आसानी से अधिकाधिक मात्रा में लार्वा पैदा करता है और यही लार्वा स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया को फायलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।  अतः बचाव का एक ही उपाय है कि जब भी भरा निकलें और झाड़ियों भरे क्षेत्र में जाएं तो पूरी बांह के कपडे पहने जिनमें कि शरीर पूरा ढाका हो। इसके बावजूद भी स्क्रब टाइफस हो  जाये तो एंटीबायोटिक अत्यंत उपयोगी हैं, डॉक्सीसिलिन नाम के एंटीबायोटिक का उपयोग लक्षण दिखने पर तुरंत किया जाता तो जल्दी ही यह बीमारी काबू में आ जाती है। और यह एंटीबायोटिक किसी भी आयुवर्ग के व्यक्ति को दी जा सकती है। फिलहाल तो यू पी सरकार पूरी तरह से  इसे जड़ से मिटाने के लिए काम कर रही है, कीड़े और इसके लार्वा को मारने के लिए अनेक प्रकार के रसायनों का छिड़काव ऐसे जगहों  पर कर रही है।