हम्पबैक व्हेल मछली मददगार और परोपकारी प्रकृति की होती है।
केवल इऩ्सान ही अपने परिवार और समाज के लिए नहीं लङता है, बल्कि यह स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ अन्य जीवों में भी पाई जाती है।
हम्पबैक व्हेल मछली बहुत ही परोपकारी और मददगार प्रकृति की होती है। एकबार सील और सनफिश मछली को खतरनाक शिकारी व्हेल मछली से बचाती हुई दिखाई दी थी। ऐसी मददगार परोपकारिता इनकी प्रजाति की भी प्रकृति में होती है।
केलिफोर्निया के मोंटेरी खाङी में उसके जैसी एवं उसकी ही प्रजाति की, भूरे रंग की व्हेल और उसके बच्चे पर एक शिकारी व्हेल मछली हमला करने की कोशिश कर रही थी। यह हम्पबैक व्हेल मछली उन दोनों को बचाने के लिए दूसरी हमलावर शिकारी मछली को बार-बार रोक रही थी।
इतनी कोशिश करने के बाद भी भूरे व्हेल का बच्चा मारा गया। आगे क्या हुआ। इसका सामान्य-सा वर्णन करेंगे।
उस बच्चे के मरने के बाद और 14 हम्पबैक मछली वहाँ पहुँच गई। ये सारी व्हेल हम्पबैक मछली उस मरी हुई व्हेल मछली को खाने के लिए पहुँची थी।
किलर व्हेल प्रोजेक्ट के दौरान अलिशा शूलम–जानिगर ने बताया कि वे एक शोध के समय देख रहे थे कि एक हम्पबैक व्हेल मछली उस मरे हुए व्हेल बच्चे के शव की दूसरी तरफ आकर और उसकी तरफ सिर उठा-उठा कर पूँछ को खिसकाता और बार-बार हिलात, जब भी शिकारी व्हेल उसे खाने आता, तो वह हर बार मुँह उठाकर जोर-जोर से चिल्लाकर पूँछ खिसकाता और चिल्लाता था।
वह हम्पबैक व्हेल साढे छः घंटे तक अपने शरीर और पूँछ से उस मरें हुए व्हेल मछली के बच्चे के शरीर को हिला रहा था। दूसरा शिकारी व्हेल अपने स्वादिष्ट भोजन को पाने के लिए हार मानने को तैयार नहीं था, परंतु उसके पास उसकी सुरक्षा के लिए व्याकुल मछली उसकों बचाने की कोशिश कर रही थी। यह बात साफ नहीं हो पाई है कि वह हम्पबैक व्हेल दूसरी प्रजाती को बचाने में अपनी पूरी ताकत क्यों लगा रही थी और इतना जोखिम क्यों उठा रही थी। इससे यह साफ स्पष्ट हो रहा था कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं थी।
इससे यह ज्ञात होता है कि केवल इऩ्सान ही अपने परिवार और समाज के लिए नहीं लङता है, बल्कि यह स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ अन्य जीवों में भी पाई जाती है।