भारत का पहला "पोलिनेटर पार्क", परागणकर्ता प्रजातियों के लिए विशेष स्थल।

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Pollinator Park

मानव जीवन के लिए अगर कोई वस्तु सर्वाधिक आवश्यकता की है तो, वह हैं पेड़-पौधे। पौधे ही सूर्य से आने वाली ऊर्जा को जमा कर उसे अन्य जीवों तक पहुंचते हैं और पृथ्वी पर उपस्थित प्रत्येक जीवन के लिए मत्वपूर्ण हैं। इन पौधों के प्रजनन के लिए इनके फूलों के बनने वाले परागकणों का एक पौधे से दूसरे पौधे तक पहुंचना भी अत्यंत आवश्यक है।  इसी तरह पौधों की कई किस्में पृथ्वी पर बनी रहती हैं। परागकणों को एक पौधे से दूसरे या एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक पहुंचाने का काम कुछ विशेष प्रकार के जीव करते हैं और इन्हीं जीवों को "परागणकर्ता" अंग्रेजी में "पोलिनेटर" कहा जाता है। 
                                  परागणकर्ता वे जीव हैं जो अपने भोजन के लिए फूलों और उनमें बनने वाले पराग पर निर्भर होते हैं। और इसी भोजन को इकट्ठा करने की प्रक्रिया के दौरान वे परागकणों को भी अपने साथ ले जाते हैं और इस तरह पौधों में प्रजनन की क्रिया में सहायता करते हैं। मधुमक्खियां, टिटलियाँ, पक्षियां एवं कई अन्य कीट इस तरह के परागणकर्ताओं की श्रेणी में आते हैं। इन सभी में से मधुमक्खियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मधुमक्खियां पूरी दुनिया में बनने वाले 80% पौध प्रजाति के प्रजनन क्रिया में सहायता करती हैं। और इस तरह मधुमखियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती हैं। 
                                  इन परागणकर्ताओं की पृथ्वी पर रहने वाली प्रजातियों विशेषरूप से मनुष्यों के लिए आवश्यकता को देखते हुए महत्ता को समझा जा सकता है।  इसी बात को ध्यान में रखकर भारत का पहला पोलिनेटर पार्क उत्तराखंड के हल्द्वानी में विकसित किया गया है। इस पार्क को बनाने का उद्देश्य ही है परागणकर्ता जैव प्रजातियों का संरक्षण एवं विकास करना। आम ज़ेज़ेबेल, कॉमन इमिग्रेंट, रेड पायरोट, कॉमन सेलर, प्लेन टाइगर, कॉमन लेपर्ड, कॉमन मोरन, कॉमन ग्रास यलो, कॉमन ब्लू बॉटल, कॉमन फोर-रिंग, पीकॉक पैंसी, पेटेंट लेडी, पायनियर वाइट, पीले-नारंगी टिप और लाइम तितली आदि को मिलाकर इस पार्क में परागणकों की 40 प्रजातियाँ हैं।