लकवा ग्रस्त चूहे को दोबारा चलाने का वैज्ञानिकों का दावा

रूह्र यूनिवर्सिटी बोखम के वैज्ञानिकों ने रीढ की हड्डी की चोट के बाद लकवाग्रस्त हुए एक चूहे को दुबारा चलाने का दावा किया है।
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लकवा ग्रस्त चूहे को दोबारा चलाने का वैज्ञानिकों का दावा
यह स्तन धारियों में दोबारा नहीं बन सकता। इस प्रक्रिया के अनुसार चूहे को चलने में दो से तीन हफ्ते लगे थे।

रूह्र यूनिवर्सिटी बोखम के वैज्ञानिकों ने रीढ की हड्डी की चोट के बाद लकवाग्रस्त हुए एक चूहे को दुबारा चलाने का दावा किया है। उन्होनें चूहे के दिमाग में एक डिझाईनर प्रोटीन को इंजेक्शन के द्वारा शरीर में पहुँचाकर तंत्रिका संबंधी लिक स्थापित किया है। माना जाता था कि यह स्तन धारियों में दोबारा नहीं बन सकता। इस प्रक्रिया के अनुसार चूहे को चलने में दो से तीन हफ्ते लगे थे। इसके आगे बङे स्तनधारियों पर रिसर्च के बाद परिणाम की आवश्यकता है।

अतः जानवरों पर होनेवाला यह शोध अकल्पनीय है।