भस्त्रिका प्राणायाम से दूर होंगे फेफड़े और दमा के रोग!

प्राणायाम का महत्त्व हम सभी जानते हैं। नियमित तौर पर प्राणायाम करने से न केवल हमारा शरीर बल्कि हमारा मन भी ताज़ा और तंदरुस्त रहता है। भस्त्रिका प्राणायाम एकमात्र ऐसा प्राणायाम है, जो आपकी शरीर में मौजूद अंदरूनी अशुद्धियां निकालता है। भस्त्रिका शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब होता है 'धौंकनी'। अंग्रेजी में इस प्राणायाम को Below Breathing Technique कहा जाता है। वात, पित्त और कफ की समस्याओं के लिए भस्त्रिका प्राणायाम राम-बाण इलाज है। दुनियाभर में प्रदुषण का स्तर प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से हमारे फेफड़ो में दूषित हवा, धूल-मिट्टी और अशुद्धियां घर कर लेती हैं। ऐसे में भस्त्रिका प्राणायाम करना आपके लिए अत्यंत लाभदायक होता है।
आइए जानते है भस्त्रिका प्राणायाम को करने का सही तरीका, जिससे आप यह प्राणायाम आसानी से कर सकते हैं।
- किसी भी शांत वातावरण में बैठकर, सिद्धासन, वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाए।
- अगर आप इन आसनों में नहीं बैठ पा रहे हैं तो किसी भी आरामदायक अवस्था में बैठ जाए और बैठकर अपनी गर्दन, शरीर और सिर को सीधा रखें।
- इसके बाद अपनी आंखें बंद करें और थोड़ी देर के लिए अपनी शरीर को शिथिल कर, अपना मुंह बंद कर लें। योग शुरू करने से पहले अपने नथनों को भी अच्छी तरह साफ कर लें।
- अपने हाथों को चीन या ज्ञान मुद्रा में रखें।
- धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी सांस को बलपूर्वक छोड़ दें।
- अब अपनी सांस बलपूर्वक खींचे और वैसे ही उसे छोड़ें।
- भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त धौंकनी की तरह आपको अपनी छाती को फुलाना और पिचकाना है।
- इस प्राणायाम का अभ्यास तीन अलग सांस दरों से किया जा सकता है। पहला धीमी जिसमें आप 2 सेकंड में 1 स्वांस लेंगे, दूसरा मध्यम जिसमें आप 1 सेकंड में 1 स्वांस लेंगे और तीसरा तेज जिसमें आप 1 सेकंड में 2 स्वांस लेंगे।
- आप शुरुआत धीमी गति से करें और रोजाना लगभग 30 पंप्स ही खींचे।
- इस प्रक्रिया को 4 से 5 बार धोराएं।
- इसके बाद जैसे-जैसे आपको आदत हो जाएगी, आप रोजाना 15 पंप बढ़ा सकते हैं।