गले मिलने से दूर होती है बीमारियां

जब व्यक्ति दुखी और परेशान होता है, तो उसके शरीर की अधिकतर इंद्रियाँ शिथिल और शांत हो जाती है। वह एकदम सुस्त हो जाता है। उसकी मनःस्थिति अनचाहे विचारों का मंथन करने लगती है।
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गले मिलने से दूर होती है बीमारियां

गले मिलने से हमारी सोच सकारात्मक होती है, आपसी प्रेम बढता है और बीमारियां भी दूर होती है।   

 

इंसान कितना भी कठोर हो, परंतु उसमें संवेदनशीलता का भाव अवश्य होता है। जब व्यक्ति दुखी और परेशान होता है, तो उसके शरीर की अधिकतर इंद्रियां शिथिल और शांत हो जाती हैं। वह एकदम सुस्त हो जाता है। उसकी मनःस्थिति अनचाहे विचारों का मंथन करने लगती है। जिन घटनाओं और परिस्थितियोंवश उसका मन व्याकुल और बेचैन रहता है। वह समय और परिस्थितियां लगातार उसके अंतर्मन में विचरण करती रहती है न चाहते हुए भी वह उन बातों को सोचने पर मजबूर हो जाता है। इन विचारधाराओं का उनपर इतना असर पङता है कि वह शांत मन से एक जगह बैठ जाने के लिए बाध्य हो जाता है।

इसका नकारात्मक प्रभाव यह होता है कि सोचते-सोचते मनुष्य का बल्ड प्रेशर बढ जाता है। रक्तप्रवाह तेज होने की वजह से मसल्स में दर्द और ऐठन महसूस होती है। शरीर में घबराहट-सी महसूस होने लगती है। ऐसे वक्त यदि कोई आपकी परिस्थिति को समझते हुए अगर आपको गले लगा लेता है, तो अपने आप आपका बल्ड सर्क्यूलेशन सामान्य होने लगता है, हार्टरेट कंट्रोल में आ जाता है, जिस कारण मेटाबालिज्म बढता है। मसल्स के दर्द और ऐठन कम होने लगते है, मानसिक और शारीरिक अवस्थाएं सामान्य और नियंत्रित होने लगती है।

जब कोई बच्चा रोता है, तब हम उसे प्यार से गले लगाकर चुप कराते हैं। ऐसे वक्त में वह अपने आप ही धीरे-धीरे शांत होने लगता है। इससे यह पता चलता है कि हमारा हमारे परिवार का आपसी खून का रिश्ता हो या न हो गले  मिलने से व्यक्ति का व्याकुल और बेचैन मन धीरे-धीरे शांत होने लगता है।

गले मिलने से हमारी सोच सकारात्मक होती है, आपसी प्रेम बढता है और बीमारियां भी दूर होती है।