वन्य संरक्षण

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वन्य संरक्षण

  इस शीर्षक का सीधा अर्थ है, वो सारे प्रयास जो वानो एवम वन्य जीवों को संरक्षित और सुरक्षित करने के किए किए है है। वन्य और वन्यजीवन, यह प्रकृति, ही जलारे अस्तित्व की नीव है। इनका नष्ट एवम विलुप्त होने hamareiye खतरे का संकेत हैं। संरक्षण को प्रयासों द्वारा पेड़, पौधों, पक्षियों को प्रजातियां सुरक्षित रहती है एवम फैलाई फिलती है, को हमारे पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक है। जंगली जानवरों की प्रजातियां नहीं सुरक्षित रहे यो यह भी आती उपयोगी हैं। मनुष्य लोभी हैं। वह आज भी पर्यावरण के बारे में नहीं तो अपने बारे में सोचता हैं। उसको यह नहीं पता कि पर्यावरण, पृथ्वी है तो मनुष्य हैं। जब वह खत्म तो सब कुछ खत्म। 

 

   मनुष्य इतना लोभी हुआ है, की वह हर कार्य में अपना स्वार्थ देखता है, वन्यजीवन संरक्षण के बारे में भी जब सोचते है तो यही सवाल हमारे मन में आते हैं। पानी, हवा, मिट्टी - तीनों पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। पानी जिसे हम पीते है और अनगिनत कार्यों में इस्तेमाल करते है, जिसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना भी संभव नहीं हैं। हमारे समाज में ऐसे भी लोग हैं; जिन्हे प्रकृति की बहुत चिंता है, उन्हें पर्यावरण का महत्व काया है यह अच्छी तरह से पता हैं। वह लोग इस प्रकृति को अच्छे बनाए रखे के किए झट रहे हैं। आंदोलन कर रहे हैं। गोरगाव के आरे - कॉलोनी में भी हजारों से ज्यादा पेड़ कटवाएं थे। इसलिए वहां के रहवासियों ने तथा अन्य लोगों ने वह आंदोलन किया था। ब्राज़ील के अमेजॉन जंगल को भी एका - एक भीषण आज लगी थी। पूरा जंगल उसमे खाक हुआ। आखिर में बारिश के वजह से थोड़ा बहुत जंगल बच गया। कीत्येक जानवरों, पशुओं को हत्या हुई और कित्येक पेड़ - पौधे जलकर खाक हुए। तभी - भी वहां के लोगो ने उसके प्रति आवाज उठाई। आखिर कार क्यों ऐसा हो रहा है; क्या प्रकृति हमारे लिए कुछ भी नहीं हैं। 

 

   हवा जिसमे घुला होता है पेड़ों द्वारा निर्मित ऑक्सिजन, जिससे हमारी सांसें चलती है। मिट्टी वो उपजाऊ मिट्टी जिसमे हम तरह तहत के अनाज, डाले, फल सब्जियां आदि उगातेहै, इं सभी से शरीर को पोषण मिलता है, स्वास्थ बना रहता है और हम रोज नए व्यंजनों का स्वाद चखते हैं। वन और वन्य जीवन सुरक्षित रहे ही ये सभी संसाधन हमे पर्याप्त मात्रा में मिलते रहेंगे और हम अपना जीवन व्यापन कर पाएंगे। सोचिए के अगर इन संसाधनों का नष्टिकरण हुआ तो क्या हालत सामने आ सकते है।