ग्रामीण जीवन की समस्या 

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ग्रामीण जीवन की समस्या

     ग्रामीण जीवन के समस्याओं को जानने से पहले हम यह जान लेते है कि गाँव है क्या और किसे कहते है।  जब कुछ लोगो का एक समूह एक निश्चित किए स्थान या बस्ती में रहता हैं, उसे गाँव कहते है । गाँव के लोग अपने जीवन यापन के लिए कृषि या अन्य पारंपरिक उद्योगों पर निर्भर रहते हैं। और यहां इन गाँवो में कुछ शहरी जीवन जैसा कुछ नहीं होता, इसलिए उन्हें कई समस्याओं की मुह दिखाना पड़ता हैं। देखा जाए तो शहरों से ज्यादा लोगों का वास गाँवो में हैं। भारत वासी अपने विकास के लिए भारतीय कृषि पर ही निर्भर हैं। सादा जीवन उच्च विचार यही इनकी पहचान हैं। जब हम गाँव के बारे में सोचने लगते हैं; तो खेतों में दूर - दूर तक लहलहाती हुई हरी फसलें, खुले आसमान के नीचे खेतों में काम करता किसान वो भी कड़ी धूप में जैसे दृश्य सामने आ जाती हैं। पेड़ों को ताजी हवा, ताजा और शुद्ध दूध, रसायनों से मुक्त ताजी - ताजी सब्जियां आदि चीजें भारत वासियों को गाँव की ओर खींच ले आती हैं। गाँव की एक विशेषता मात्र हैं; मदद के लिए बह सदैव तत्पर रहते हैं। परंतु जब उनके समस्याओं के बारे में बात करे तो गाँव के लोगो के अनेक समस्याओं को मुंह दिखाना पड़ता है। 

 
  • असुविधाएं - आज के समय में हर इंसान सुविधा चाहता है; परंतु शहरी जीवन के माध्यम से ग्रामीण भागों में बहुत कम सुविधाएं हैं। वह खेती का संसाधन हो या घाटी को सामान आदि के लिए वह शहरों पर निर्भर रहते हैं।

 
  • शालेय जीवन - शिक्षा यह एक एकमेव साधन है; को इस स्थिति को बदल सकता है । आज भी देखा जाए तो कई गाँवो में पाठशालाएं नहीं हैं। उनमें भी सीखने की प्रति उत्सुकता है। परंतु पाठशाला न होने के कारण उन्हें शहर की ओर आना पड़ता है और अगर वे गाँव के पाठशाला ने शिक्षा ले भी लेते है; तो उच्च शिक्षा के लिए शहर ही एकमेव स्थान बचाता हैं।

 
  • विकास की कमी - विकास की बात करे तो सड़कों को स्थिति हमारे सामने आ जाती हैं। कई गाँवो को तो अब तक मुख्य सड़कों से जोड़ा भी नहीं गया है। इसलिए गाँवबल लोग अभी भी इस के ओर ध्यान लगाकर बैठे है।

 
  • अस्पताल जैसे सुविधाओं की कमी - शहरों में जैसे जगह - जगह अस्पताल और डॉक्टरों कि खुदकी दुकानें होती है; वैसी सुविधा गाँवो में नहीं होती हैं। अस्पताल से जुड़े दवाखाने, दवाखानों की दुकानें भी नजदीक नहीं होती हैं। और अगर किसी गाँव में अस्पताल है भी तो वहां कोई डॉक्टर अपनी सेवाएं देना नहीं चाहते ।

 
  • मौसम की मार - हम सभी जानते है कि भारतीय किसान पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं। वर्षा की बढ़ती अनियमितता और पर्यावरण प्रदूषण का सबसे गहरा असर कृषि पर ही पढ़ता हैं।

 
  • मनोरंजन के साधनों को अभाव - गाँवो में शहरों की तरह मनोरंजन के साधन जैसे सिनेमाघर, गार्डन, चौपाटी उपलब्ध नहीं होते हैं। गाँव में रहने वाले बच्चों को तो समोसे, कचौड़ी या कुल्फी के किए भी कई दिनों का इंतजार करना पड़ता है ।

 

      ग्रामीण जीवन के फायदे भी बहुत हैं। शुद्ध वातावरण, आनंददायी और प्रसन्न रहता है। शहरी प्रदूषण से मुक्त शुद्ध पानी । यहां वाहनों से निकलने वाला धुआ नहीं है और कौन - सा शोर नहीं। त्योहारों का भी वह सही आनंद लेते हैं। सभी गाँव वाले एकत्रित आकर त्योहारों को धूम - धाम से मानते हैं। गाँव का जीवन अगदी सुखदायक ऐसा होता है और उन्हें किसी भी चीज को जल्दी नहीं होती हैं। वहीं शहरी लोग इन सब बातों से दूर दूर तर अंजान हैं। इन सब को देखते हुए यह निष्कर्ष निकाल लगाना मुश्किल है कि गाँव का जीवन बहुत बुरा है या बहुत अच्छा हैं। मेरा मानना तो यह है कि शिक्षा ही हर समस्या का समधान है इसलिए अपने बच्चो को जितना हो सके उच्च शिक्षित करते और अपने देश के विकास में योगदान दें।