इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस बढोत्तरी को लेकर हुआ बवाल, आत्मदाह देकर किया विरोध प्रदर्शन 

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एक तरफ जहां pm मोदी को विश्व गुरु का ख़िताब दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ देश में बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई, यहां तक कि अब शिक्षा के मामले में भी स्टूडेंट्स वंचित होते जा रहे है। इन दिनों इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बढ़ती फीस को लेकर बवाल बढ़ गया है। जिसके चलते 6 सितंबर से कैंपस में अनशन पर बैठे हैं छात्र प्रतिदिन अलग अलग अंदाज में विरोध प्रदर्शन रहे हैं। कुछ छात्रों ने आत्मदाह का प्रयास किया तो एक छात्र ने कुलपति कार्यालय के ऊपर से कूदने का प्रयास किया। इतना ही नही कल मंगलवार को छात्रों ने भू-समाधि का प्रयास भी किया और अपनी ही कब्र खोद डाली। 

बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र 400% फीस वृद्धि के विरोध में में 22 दिन से अबतक अनशन पर बैठे हुए है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का 23वां दिन है। 

छात्रों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अजय यादव सम्राट कहते हैं, "विश्वविद्याल प्रशासन तर्क दे रहा है कि उसके पास फंड की कमी है जबकि छात्रों के पैसे का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है. कई ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति लाखों रुपये महीने की तनख्वाह पर की गई है जिनका कोई काम नहीं है. हॉस्टलों की स्थिति बद से बदतर है लेकिन वहां कोई पैसा नहीं खर्च हो रहा है. कक्षाओं और प्रयोगशालाओं की अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है तो विश्वविद्यालय केंद्र से मिल रहे पैसों का क्या कर रहा है और अब वह गरीब छात्रों से इतना पैसा वसूल कर क्या करना चाहता है. सच्चाई तो यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और खासकर कुलपति गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा से ही वंचित करना चाहते हैं. फीस इतनी बढ़ा दी जाए ताकि वो विश्वविद्यालय में पढ़ने की हिम्मत ही न जुटा पाएं.”

मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले दुर्गेश सिंह का कहना है कि, "मैं यहां से एमकॉम कर रहा हूं. बीकॉम की पढ़ाई में हर साल सिर्फ एक हजार रुपये फीस लगती थी लेकिन नए छात्रों को अब इसी पढ़ाई के लिए साल भर में चार हजार देने होंगे. इसके अलावा बाहर रहने का पांच-छह हजार रुपया खर्च अलग. यहां सभी बच्चों को हॉस्टल मिल नहीं पाता है और अब तो हॉस्टल की फीस भी कई गुना बढ़ा दी गई है. हमारे जैसे गरीब परिवारों के घरों से यदि दो-तीन बच्चे पढ़ रहे हों तो भला बताइए, वो कैसे पढ़ पाएंगे?”

वहीं पश्चिमी यूपी के एक गांव की रहने वाली रेणुका कहती हैं कि "यह ठीक है कि दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी फीस बढ़ी है इसलिए यहां भी बढ़ा दी गई. लेकिन एक ही बार में इतनी ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं करनी थी. .. एकाएक चार गुना ही बढ़ा दिया." रेणुका ने ये भी बताया कि "अमीर लोगों के लिए चार-पांच हजार रुपये कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन जिनके परिवारों की आय ही महज दस-पंद्रह हजार रुपये महीने की हो, वो अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे? और इस विश्वविद्यालय में एक बड़ी तादाद ऐसे ही परिवारों के बच्चों की है.”

वहीं यूनवर्सिटी प्रशासन ने दूसरी यूनिवर्सिटी से तुलना करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है। और ट्वीट कर कहा है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन में दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स की मौजूदा सालाना फीस 975 रुपए है। जिसे बढ़ाकर अब 3901 कर दिया गया है, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से तुलना की जाए तो वहां हर ग्रेजुएशन के हर स्टूडेंट्स की फ़ीस सालाना 3420 रुपए है। हालांकि हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कोर्स के लिए सालाना 10 हज़ार , कश्मीर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 5700 और केरल में करीबन 9 हज़ार फीस वसूली जा रही है।