सिंघु बॉर्डर पर एक और किसान ने दी जान, कृषि कानून वापस लेने की कर रहे थे मांग
* सिंघु बॉर्डर पहुंचते ही किसानों में काफी गुस्से का माहौल पैदा हो गया
*वहीं यह पहला मौका नहीं है जब इन कानूनों के खिलाफ किसी किसान ने आत्महत्या की हो
इतने दिनों से कृषि कानून को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं पर सरकार के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही है वो इस कानून को वापस लेने की मूड में नहीं दिख रही है. इसी से गुस्साए ना जाने कितने किसानों ने अपनी बलि दे दी. जी हां कृषि कानूनों पर भारत सरकार के रुख से नाराज एक और किसान ने शनिवार को सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली पर सरकार इतना देखने के बाद भी अपने फैसले पर डटी की डटी है. वहीं सिंघु बॉर्डर पर देर शाम हुई इस घटना से किसान काफी दुखी और गुस्से में दिखाई दे रहे हैं.
दरअसल सिंघु बॉर्डर पर शनिवार देर शाम जब मंच से वक्ताओं का कार्यक्रम ख़तम हो रहा था. उसी समय पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से आए करीब 40 साल के अमरिंदर सिंह ने मंच के पीछे ही सल्फास खा लिया. चिल्लाते हुए मंच के सामने आ गए. वे कुछ बोलते-बोलते वहीं बेहोश होकर गिर पड़े. उनके मुंह से झाग निकल रहा था. आनन-फानन में उन्हें वहीं नजदीक स्थित फ्रैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल ले जाया गया.
वहीं इलाज के दौरान शाम करीब साढ़े सात बजे उनकी मौत हो गई. यह खबर सिंघु बॉर्डर पहुंचते ही किसानों में काफी गुस्से का माहौल पैदा हो गया. एक और किसान की मौत की खबर के बाद किसानों ने वहां देर शाम जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है. वहीं मौके से अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है.
बता दें कि, सरकार के कृषि कानून से किसान खुश नही हैं. सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. पर सरकार अपने फैसले पर अडिग है इससे नाराज कितने किसानों ने आत्महत्या कर ली. आज भी ऐसा ही कुछ हुआ एक किसान ने सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली. वहीं किसान की मौत की खबर के बाद बॉर्डर पर किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमक नारेबाजी की.
वहीं यह पहला मौका नहीं है जब इन कानूनों के खिलाफ किसी किसान ने आत्महत्या की हो, इससे पहले भी किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर पर किसान ने आत्महत्या कर ली थी. वहीं केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के दौरान ही पिछले महीने 16 दिसंबर को संत बाबा राम सिंह ने भी आत्महत्या कर ली थी.