शहीदों की याद में चौरा-चौरी कार्यक्रम का आयोजन समारोहृ
इस चौरा-चौरी के अभियुक्तों का मुकदमा पंडित मदनमोहन मालवीय ने लङा और उन्हें बचा लेना उनके लिए एक बहुत बङी सफलता थी।

चौरा-चौरी गोरखपुर की एक पवित्र भूमि है। वहाँ थाने में ही आग नहीं लगी थी, बल्कि जन जन के दिलों में आग लगी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी जी ने शहींदों को नमन करते हुए उन दिनों की याद दिलाई, जब 4 फरवरी 1922 को ब्रिटीश का राज था। उस वक्त गोरखपुर जिले में चौरा-चौरी नामक एक कस्बा था। यह वह समय था जब, हमारा देश ब्रिटीशों के गुलामी की जंजीर में जकङा हुआ था। प्रदर्शनकारियों का एक बङा समूह पुलिस गोरों के साथ भिङ गया था। जवाबी कार्यवाही में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था। इन आंदोलनकारी स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजों का जबरदस्त विरोध किया था। इन्होंने पुलिस थाने में आग लगा दी थी। ब्रिटीश के कब्जे में जितने लोग थे, उन्हें मार दिया गया था। इस घटना में तीन नागरिक और 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। महात्मा गाँधी जो हिंसा के खिलाफ थे। इन्होंने इस घटना के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 12 फरवरी 1922 को राष्ट्रीय स्तर पर असहयोग आंदोलन को रोक दिया था। इस चौरा-चौरी के अभियुक्तों का मुकदमा पंडित मदनमोहन मालवीय ने लङा और उन्हें बचा लेना उनके लिए एक बहुत बङी सफलता थी।
इन्हीं लोगों की स्मृति में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जो पूरे साल तक चलेगा। यह कार्यक्रम विडियों कॉन्फ्रेंसिग के जरिए हो रहा है। आज चौरा-चौरी के दिन डाक टिकट का भी आयोजन किया गया है। आज के इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज चौरा-चौरी के 100 साल पूरे हो गए हैं। चौरा-चौरी गोरखपुर की एक पवित्र भूमि है। वहाँ थाने में ही आग नहीं लगी थी, बल्कि जन जन के दिलों में आग लगी थी। जितने भी बङे स्वतंत्रता सेनानी हैं, उनको दुनियां के सामने लाना है। आजादी के संग्राम को नई दिशा में लाना है। यही हमारे आत्मनिर्भर भारत का मूलभूत आधार है। ऐसे शहीदों को शत्-शत् नमन है।
जय हिंद।