G-20 के प्रदर्शन के लिए दिल्ली की गरीब जनता के उजाड़े घर 

 | 
gg

जी 20 का मेला शुरू हो गया। मोदी मीडिया का कवरेज इसी मेले के आसपास है। सजावट का कवरेज इस तरह से किया जा रहा है जैसे आपने लेज़र की रौशनी का प्रदर्शन कभी देखा नहीं। आज की दुनिया के लिए यह सब आम बातें कहा जा रहा है कि भारत की संस्कृति का प्रदर्शन हो रहा है। एक ऐसे देश में जहाँ 8 करोड़ लोग इतने गरीब है उस देश में उन्हें मुफ्त में अनाज दिया जा रहा है, उस देश में जी 20 के डेलिगेट को सोने चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया जाएगा। ये वो डेलिगेट है जो खुद अपने घर में उसी बर्तन में खाते है जिसमें भारत का आम मिडल क्लास खाता है। 

बल्कि अगर कोई यूरोप और अमेरिका से आ रहा है तो निश्चित है कि अपना बर्तन भी खुद धोता होगा क्योंकि उसके घरों में बर्तन धोने के लिए सहायक या सहायिका नहीं होती, केवल मशीन होती है। ऐसे डेलिगेट को आप सोने चांदी के बर्तन में खाना खिलाकर क्या दिखाना चाहते? क्या इन देशों के डेलीगेट को इस देश की सच्चाई नहीं मालूम? भारत अपनी अध्यक्षता में जी 20 जन भागीदारी का रूप दे रहा। सोने चांदी के बर्तन में खाना परोसकर आप जनभागीदारी तय कर रहे हैं या इस सम्मेलन को सामंती और राजशाही के दौर में ले जा रहे हैं? प्राइवेट समाचार एजेंसी एएनआई ने सोने चांदी के बर्तनों के विडीओ जारी किए हैं। जिससे ट्विटर पर 10,00,000 लोगों ने देखा। 

क्या वो इन सोने चांदी के इन बर्तनों को आंखें फाड़कर ही देखा और वाहवाही में बिछ गए। या उनकी नज़र में यह बात खट्टी भी? यह करीब देश किसी को चांदी की थाल में खिलाकर मेहमाननवाज़ी का कौन सा आदर्श स्थापित करना चाहता है? कहा जा रहा है की जी 20 को नेताओं की जगह जन भागीदारी का रूप दे रहे हैं। मगर यही नहीं दिखाया जा रहा है कि आम जनता किसी को नजर ना आए। 

इसलिए बस्तियों को रास्ते से हटाया भी जा रहा है। जहाँ नहीं हटा सकते वहाँ पर हरे और सफेद रंग के पर्दे लगा दिए गए। हाँ, इससे बस भारत का मीडिया मैनेज हो जाता है लेकिन, जापान से लेकर अमेरिका का मीडिया किस तरह से रिपोर्ट कर रहा है? देखने की बात है कि मीडिया मैनेजमेंट से ये जो जी 20 चलाया जा रहा है, दुनिया उसे किस नजर से देख रही। 

नोएडा, गाजियाबाद और पटपड़गंज से लेकर मयूर बिहार के लोग प्रगति मैदान से होते हुए जब जाते हैं तो बाईं और बस्ती रोज़ देखते हैं तो वह पर सफेद रंग के परदे लगा दिए गए है। क्या वे इतने शर्मिंदा हो जाते हैं? इन्हें दुनिया के नेताओं की नजर से छिपाया गया। क्या भारत के लोग भारत के गरीब लोगों को देखकर इतनी शर्म करते हैं? इतनी नफरत हो गई गरीबों से अगर, यह सुरक्षा कारणों से होता तो निश्चित ही सफेद परदे सुरक्षा के किसी काम का नहीं। 

दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार  के बाहर हरे रंग का पर्दा लगा दिया गया है। इन्हें जी 20 के मेले की भव्यता के दर्शन से भी बाहर कर दिया गया है। आप सोचिए अगर आपकी हाउसिंग सोसाइटी के आगे इस तरह बड़े बड़े परदे टांग दिए जाएं तो कैसा लगेगा? यही नहीं देश भर में जी 20 के आयोजन को सुंदर दिखाने के लिए कितनी अवैध अतिक्रमण के नाम पर हटा दी गई है, इसका कवरेज आपको भारत की मुख्यधारा की मीडिया में कम दिखेगा और दिखेगा भी तो इस तरह जैसे किसी को फर्क नहीं पड़ता। 
शायद मोदी जी भूल गए, "उसी जनता से वो है, जिनको वो परदो से छिपा रहे है"।