चुनाव आयोग पर सवाल: महाराष्ट्र में मतदाता डेटा और चुनावी प्रक्रिया पर पारदर्शिता की मांग

- महाराष्ट्र में मतदाता संख्या में कमी पर सवाल
- 47 लाख मतदाताओं के अचानक जुड़ने का आधार मांग
- मतदान प्रतिशत में असामान्य वृद्धि पर चिंता
- चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता की मांग
महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के बाद, कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। इन सवालों का मूल कारण चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और मतदाता डेटा की सटीकता है।
हमने चुनाव आयोग से बहुत विस्तृत चर्चा की है।
— Congress (@INCIndia) December 3, 2024
अगर चुनाव लेवल प्लेइंग फील्ड पर न हो तो लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे पर आघात होता है।
हमारे जो मुख्य बिंदु थे, चुनाव आयोग को उसका डाटा जारी करना चाहिए।
1. महाराष्ट्र में बहुत बड़ी मात्रा में वोटरों की कमी हुई है। हमें इसके… pic.twitter.com/d1aWAtVuDB
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मतदाता संख्या में कमी: महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या में असामान्य कमी देखी गई है। कांग्रेस नेताओं ने बूथ और क्षेत्रवार डेटा जारी करने की मांग की है, जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। यह डेटा मतदाताओं की संख्या में हुई कमी के कारणों को उजागर कर सकता है।
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अचानक मतदाता वृद्धि: लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच मात्र पांच महीनों में 47 लाख मतदाताओं के जुड़ने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं। इस वृद्धि के आधार को स्पष्ट करने के लिए डेटा मांगा गया है।
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मतदान प्रतिशत में अंतर: चुनाव आयोग के अनुसार, महाराष्ट्र में शाम 5 बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22% था, जो रात 11:30 बजे 65.02% और दो दिन बाद 67% बताया गया। इस असामान्य वृद्धि पर स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिसमें कहा गया कि मतदान प्रतिशत और फॉर्म 17C अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं।
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चुनाव परिणामों में अंतर: 118 ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच 25,000 से अधिक मतों का अंतर देखा गया, जहां अधिकांश स्थानों पर सत्तारूढ़ पार्टी जीती। इस अंतर की जांच की मांग की गई है।
कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग से इन मुद्दों पर स्पष्टीकरण और डेटा जारी करने की मांग की है, जिससे लोकतंत्र की नींव और संविधान की मूल संरचना की रक्षा हो सके। यह मांग उठाई गई है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
Dec 03, 2024 - 22:02