राज्यसभा में बवाल: संजय सिंह और BJP सांसद के बीच गरमागरम टकराव
'केजरीवाल चोर है' बनाम 'नरेंद्र मोदी चोर है' - राज्यसभा की कार्यवाही में हंगामा

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AAP सांसद संजय सिंह के भाषण के दौरान BJP सांसद ने केजरीवाल को 'चोर' कहा।
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संजय सिंह ने जवाब में कहा, "गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर है।"
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राज्यसभा की कार्यवाही में बढ़ते तनाव के कारण हंगामा।
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स्पीकर को कार्यवाही संभालने में आई मुश्किल।
दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस की शुरुआत हुई जब राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह के भाषण के दौरान एक भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद ने अरविंद केजरीवाल को "चोर" कहा। यह घटनाक्रम 17 दिसंबर 2024 को संसद के ऊपरी सदन में हुआ, जहां संजय सिंह दिल्ली के मुख्यमंत्री की रक्षा कर रहे थे।
राज्यसभा में विपक्ष की ओर से संजय सिंह ने दिल्ली सरकार की उपलब्धियों और केजरीवाल के काम पर प्रकाश डाला था। इसी बीच, जब BJP सांसद ने अपनी बात रखने के लिए माइक लिया, तो उन्होंने केजरीवाल को चोर कहकर सदन में तनाव बढ़ा दिया। इस पर तुरंत पलटवार करते हुए, संजय सिंह ने जवाब दिया, "गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर है।" यह नारा BJP सांसद के बयान का माकूल जवाब माना गया।
राज्य सभा में बवाल 🔥🔥
— Govind Pratap Singh | GPS (@govindprataps12) December 17, 2024
संजय सिंह के भाषण के बीच में किसी BJP सांसद ने कहा: केजरीवाल चोर है।
संजय सिंह बोले:
"गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर है।" pic.twitter.com/MakzgjQPxk
राज्य सभा में बवाल 🔥🔥
— Govind Pratap Singh | GPS (@govindprataps12) December 17, 2024
संजय सिंह के भाषण के बीच में किसी BJP सांसद ने कहा: केजरीवाल चोर है।
संजय सिंह बोले:
"गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर है।" pic.twitter.com/MakzgjQPxk
इस घटना ने राज्यसभा को कुछ समय के लिए हंगामे का अखाड़ा बना दिया। स्पीकर को सदन की कार्यवाही को संभालने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा, और कई सांसदों ने आपस में नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ BJP सांसदों ने संजय सिंह की टिप्पणी पर आपत्ति जताई, जबकि आप के सांसदों ने केजरीवाल का समर्थन किया।
यह घटना दिल्ली की राजनीति में एक और अध्याय जोड़ती है, जहां विपक्ष और सत्ताधारी पार्टियों के बीच तीखा मुकाबला जारी है। संजय सिंह की टिप्पणी ने न केवल सदन में हंगामा बढ़ाया बल्कि सोशल मीडिया पर भी व्यापक चर्चा का विषय बन गया। इस घटना ने दोनों पार्टियों के समर्थकों को सक्रिय कर दिया है, जो अपने-अपने नेताओं का बचाव कर रहे हैं।
इस विवाद ने एक बार फिर से दिखाया है कि भारतीय राजनीति में कैसे व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप संसदीय कार्यवाही को प्रभावित कर सकते हैं।