मीडिया में कितने SC-ST, OBC: राहुल गांधी

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पहली बार किसी राजनीतिक दल के किसी महत्वपूर्ण नेता ने मीडिया से यह सवाल किया

9 अक्टूबर सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बस सवाल कर दिया जिसका जवाब भारत का मीडिया आज तक नहीं दे सका। ना संपादकों ने दिया ना मालिको ने। एक सवाल यह भी है कि क्या राहुल गाँधी के इस सवाल को मीडिया अपने पन्नों पर जगह देगा? 

टीवी डिबेट में इस पर चर्चा होगी या इस सवाल को मीडिया गायब कर देगा। राहुल गाँधी का सवाल था कि मीडिया में दलित, आदिवासी और ओबीसी कितने? इस सवाल का जवाब सामने बैठे पत्रकारों से नहीं आया बल्कि यह इस सवाल का जवाब बन गया की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व नहीं है। पिछले 10 वर्षों में मीडिया में अपर कास्ट के वर्चस्व को लेकर कई प्रकार के सर्वे आये और सवाल उठे मगर मीडिया ने कभी इसका उत्तर नहीं दिया। 

पहली बार किसी राजनीतिक दल के किसी महत्वपूर्ण नेता ने मीडिया से यह सवाल किया। राहुल गाँधी ने इस सवाल पर मीडिया को चुप करा दिया जो तरह तरह से बीजेपी के सवालों को लेकर राहुल गाँधी को घेर रहा था। राहुल गाँधी ने दिखा दिया कि उनका सवाल केवल बीजेपी से नहीं है। मीडिया से भी है। राहुल गांधी ने कहा-

"जो कास्ट सेन्सस से क्लियर हो जायेगा। इस देश में कितनी आबादी किसकी है? ओबीसी के कितनी है दलितों की कितनी है? आदिवासियों की कितनी है? बाकी लोगों की कितनी है पहला सवाल? दूसरा सवाल देश का जो धन है। देश के जो ऐसेट्स है। क्या वो इन लोगों के हाथ में भी है या नहीं? देश में ओबीसी की कितनी हिस्सेदारी है? दलितों की कितनी हिस्सेदारी है? आदिवासियों की कितनी हिस्सेदारी है? देश के इन्स्टिट्यूशन्स में आदिवासी कितने? ओबीसी कितने? दलित कितने? मैं आपसे पूछ लेता हूँ इस कमरे में दलित कितने है? देखिये इस कमरे में ओबीसी कितने हैं? देखिये मज़ा। नहीं, मैं इन पत्रकारों की बात कर रहा हूँ।" 

तो आपने जाना की राहुल गाँधी के पास प्रेस कॉन्फ्रेन्स में सन्नाटा पसर गया। उनकी प्रतिक्रिया से लगा कि एक ही हाथ ऊपर उठा मगर राहुल गाँधी ने साफ कर दिया की आप कैमरामैन है। मैं सामने बैठे संवाददाताओं से पूछ रहा हूँ कि उनमें ओबीसी, दलित और आदिवासी कितने हैं? उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। 

अगस्त 2019 में न्यूजलॉन्ड्री ने एक सर्वे कराया था। इसके अनुसार न्यूस रूम में 121 पदों पर एक भी दलित और आदिवासी नहीं था। इनपुट, आउटपुट, एडिटर से लेकर एग्जीक्यूटिव एडिटर से लेकर मैनेजिंग एडिटर और मैनेजिंग एडिटर से लेकर ग्रुप एडिटर में से एक भी दलित और आदिवासी नहीं मिला। 100 से ज्यादा पदों पर अपर कास्ट पत्रकार ही मिले। सर्वे में यह भी निकलकर आया कि चार में से तीन ऐंकर अपर कास्ट के हैं। कोई दलित और आदिवासी नहीं है, OBC तक नहीं है।