मुजफ्फरनगर के मुसलमान बच्चे ने दिया बयान, " लगातार दूसरे बच्चे मुझे पीट रहे थे"
यह बात मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर थाना क्षेत्र के पास खुब्बापुर गांव की है। जी हां, इस मामले के तहत बच्चे ने यह बयान दिया कि टीचर के कहने पर क्लास के बाकी बच्चों ने उसे 1 घंटे तक मुझे मारा। यह मामला आग की तरह फैल गया है।
जब अध्यापिका से इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चे के सही तरीके से ना पढ़ने, और दिए गए काम को घर से ना याद करने के कारण उसके साथ ऐसा व्यवहार किया गया, वह यह भी बता रही थी कि उस बच्चे के पिता जी अध्यापिका से मिलने आए थे और उन्होंने कहा था कि बच्चे पर थोड़ा सा गौर कीजिए।
अध्यापिका ने बताया कि मैं विकलांग हूं मुझसे उठा नहीं गया तो मैंने बाकी बच्चों को उसे मारने के लिए कहा, उन्होंने अपनी गलती भी मानी है, फिर उन्होंने कहा- "लेकिन मेरी ऐसी मंशा नहीं थी"। अध्यापिका ने कहा कि इस मामले को इतना फैलाने की जरूरत नहीं थी और ना ही इसे राजनीतिक रूप देने की कोई जरूरत थी।
बच्चे के पिता ने इस मामले पर फैसला करने के लिए बच्चे के स्कूल की 6 महीने की फीस और एडमिशन फीस लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया। जो की कुल मिलाकर रजिस्ट्रेशन की 1000 रुपए और फीस 1600 रुपए थी।
जैसे कि बताया जा रहा है कि वह बच्चा मुसलमान था तो अध्यापिका ने कहा कि मेरा कोई मकसद यहां पर हिंदू-मुसलमान बच्चों में भेदभाव करना नहीं था। यदि आप इस तरह से अध्यापकों पर छोटी-छोटी बात को लेकर अध्यापकों को घसीटा जाएगा तो हमारा बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो जाएगा। हम अध्यापकों के दिमाग में यही बात रहेगी कि मुसलमान बच्चे को सजा दी जाएगी तो हिंदू-मुसलमान का भेदभाव का इल्जाम लगा दिया जाएगा।