सनी देओल के 56 करोड़ के लोन की ई-नीलामी हूई रद्द
बैंक भी लोन की वसूली में करते है भेदभाव, बाकी के 556 संपत्तियों की नीलामी में कोई तकनीकी दिक्कत नहीं बस सनी देओल की संपत्ति छोड़ कर।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने नोटिस निकाला था कि सनी देओल ने 56,00,00,000 के लोन नहीं चुकाया तो उनके बंगले की ई-नीलामी होगी। बीजेपी के सांसद का घर नीलाम होने जा रहा था। इतना अच्छा संदेश जाता था कि "बैंक लोन की वसूली में किसी से भेदभाव नहीं करता है"। मगर सुबह सुबह खबर आ गई की तकनीकी कारणों से यह नीलामी रद्द कर दी गई है।
बैंक ऑफ बड़ौदा दो दिनों के बाद यानी 23 अगस्त को "556 संपत्तियों की ई-नीलामी करेगा। इतनी नीलामी में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई, लेकिन 56,00,00,000 का लोन सनी देओल के घर की नीलामी तकनीकी कारणों से रद्द कर दी गई। क्या ये तकनीकी कारण केवल सनी देओल के मामले में ही मिलते है? 556 मामलों में नहीं मिले मोदी सरकार को बीजेपी के लिए जांच एजेंसी का गठन कर देना चाहिए। इन सभी का एक ही काम होना चाहिए।जो भी बीजेपी का है उसे "क्लीन चिट" देना है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की तरफ से यह स्पष्टीकरण आया है। बैंक ने कहा है कि अन्य केसों में भी ऐसा होता है। मगर सवाल ये है की क्या नोटिस अखबार में आने से पहले सनी से बैंक ने बात नहीं की थी? क्या उनकी बिना जानकारी के बैंक ने अब तक कार्रवाई की थी? जो सनी अखबार में नीलामी की खबर पढ़कर क्या सनी देओल इस मामले में बैंक पर मानहानि का दावा नहीं कर सकते? ये कौन सी प्रक्रिया है जिसके तहत बैंक नोटिस जारी करने के बाद नोटिस वापस खींच लेता है? अखबारों में बैंक जो नोटिस छपवाते हैं।
उदाहरण के तौर पर बात देते है की एक खबर इसी देश की है गुजरात राज्य की, पिछले साल अप्रैल की है 31 पैसा नहीं चुकाया था तो "भारतीय स्टेट बैंक" ने प्रमाण पत्र जारी नहीं किया। याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाना पड़ा। यह बात बेचारे एक किसान की है जिसने अपनी जमीन बेची थी। उसने फसल के लिए लोन लिया, सारा पैसा चुका दिया है। मगर 31 पैसे का हिसाब निकल आया तो बैंक ने खरीदार को "नो ड्यूज सर्टिफिकेट" जारी ही नहीं किया।
यह case याद करने का मकसद यह है की आम आदमी पर 31 पैसे का हिसाब निकल आए तो बैंक ने no dues नहीं दिया और सनी देओल तो फ़िल्म स्टार के अलावा भाजपा के सांसद भी हैं। इनकी तस्वीरें प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी है। संसद नहीं जाने का इनका रिकॉर्ड देखेंगे तो आपको लगेगा कि इस देश में उनके जैसा ही सांसद बनना चाहिए।
संसद में हाजिरी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी कई बार अपनी पार्टी के सांसदों को उपदेश देते रहते हैं। हेडलाइन छप जाती है, मगर लगता है सनी देओल को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। बीजेपी अक्सर विपक्ष पर आरोप लगाती है कि विपक्ष संसद नहीं चलने देता मगर अपने ही सांसद को सदन में नहीं बुला पाती।
अभी जो मॉनसून सत्र गुजरा है, उसमें सनी देओल 1 दिन भी नहीं आए। बाकी सत्रों में उनकी हाजिरी का यही आलम है। आप रेकोर्ड देख सकते हैं। गुरुदासपुर के लोग ही बेहतर बता सकेंगे कि संसदीय क्षेत्र में कितनी बार जनाब जाते हैं। वैसे पिछले साल अक्टूबर में हिंदुस्तान टाइम्स में यह खबर छपी थी कि चुनाव जीतने के बाद। सनी देओल अपने क्षेत्र में नजर नहीं आए इसलिए जगह जगह पर गुमशुदा की तलाश के पोस्टर लगा दिए गए। उनके फोटो के साथ हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते।
ये सनी देओल गुरदासपुर जाते है या नहीं जाते? मगर लोकसभा की बैठकों में उनकी हाजिरी "0" है तो उस क्षेत्र में उनकी हाजिरी का अंदाजा आप लगा सकते हैं। 2021 की खबर बताती है कि जनाब अपने क्षेत्र में सक्रिय रहते होंगे। अमर उजाला की खबर में आता है कि संसद के लेटर हेड पर सनी देओल ने कार डीलर को पत्र लिख दिया।
आए दिन इस तरह के नोटिस छपते रहते हैं। बैंक वाले तो कई बार लाउडस्पीकर और ढोल लेकर पहुँच जाते हैं और कर्जदार का नाम मोहल्ले में पुकारने लगते है। लेकिन क्या आपने कभी उन लोगों का नाम जाना है? जिन्होंने 2014 से ले मार्च 2023 तक 14,50,000 करोड़ लेने थे सरकार इनके नाम नहीं बताती। इनमें से मात्र 2,00,000 करोड़ ही वसूले गए। ये आंकड़ा सरकार जब लाखों करोड़ रुपये के लोन की वसूली नहीं हो सकती है तो 56,00,00,000 के लोन की बीजेपी के सांसद का घर नीलाम हो जाएगा?