चंद्रायन-3 का अंतिम पड़ाव, चंद्रमा के काफी नजदीक।
हाँ, एक और बड़ा सफलता, विक्रम लैंडर चाँद की निचली कक्षा में पहुँच गया। अब उसकी चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 किलोमीटर की है। यही नहीं विक्रम लैंडर की डी बूस्टिंग की प्रक्रिया का पहला चरण भी सफलतापूर्वक पूरा हो गया। डी बूस्टिंग का मतलब होता है स्पेस क्राफ्ट की रफ्तार को धीमा करना। इसरो के मुताबिक ये डी बूस्टिंग का पहला चरण था और विक्रम लैंडर की दूसरी अगस्त को होगी जिसका मकसद विक्रम लैंडर को पेरिन यानी चन्द्रमा के 30 किलोमीटर की रेंज में पहुंचाना है।
इसके बाद लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा। चाँद के करीब निचली कक्षा में पहुंचने पर रेट्रो बर्निंग अपोज़िट डायरेक्शन में किया गया है ताकि उसकी स्पीड कम हो जाए। लैंडर विक्रम की चंद्रमा पर लैंडिंग उसमें लगे चार इंजन के जरिये होगी।
खास बात ये है कि इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजिन यानी ट्रस्ट तो है लेकिन पिछली बार बीचोबीच लगा पांचवा इंजिन हटा दिया गया है। पर फाइनल लैन्डिंग दो एंजेन मदद से ही होगी ताकि दो एंजेन आपातकालीन स्थिति में एक काम कर सके।
दरअसल, चंद्रयान टू मिशन में पांचवा इंजन आखिरी समय में जोड़ा गया। जबकि इस बार पांचवां इंजन इसलिए हटाया गया है ताकि लैंडर अपने साथ ज्यादा ईंधन ले जा सके। यही नहीं इससे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को लैन्डिंग में मदद मिलेंगी । ये प्रोसेसर कैसे पूरा होगा वो समझिये।
चंद्रयान थ्री के लैंडर के चार पैरों के पास लगे 800 न्यूटन पावर के एक एक ट्रस्टर से ये प्रोसेसर पूरा होगा। डी बूस्टिंग का प्रोसेसर 20 अगस्त को भी होगा जिसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किलोमीटर रह जाएगी। लैंडर की रफ्तार कम होगी और तब 90 डिग्री के ऐंगल पर आते हुए वो 23 अगस्त को शाम 5:47 पर सॉफ्ट लैन्डिंग करेगा ।