इस बिल से भारत में मुक्त और निष्पक्ष चुनावों को खतरा

बीजेपी सरकार की इस कदम से चुनाव आयोग को खोखला करने की साजिश
 | 
raghav chedda
  1. चुनाव आयोग की निष्पक्षता को खतरे में डालने का प्रयास - भारत सरकार के द्वारा एक नया चुनाव बिल
  2. सरकारी कदम का सीधा आकलन - नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट की छवि से बर्खास्ती
  3. चुनाव आयोग के निष्पक्ष काम को बचाने के लिए सांघर्ष - राघव चड्ढा का आप की ओर से सतर्कता

भारतीय राजनीति में एक नई चुनौती का सामना कर रही है, जब सरकार ने चुनाव बिल को पारित करने की योजना बनाई है, जिससे चुनाव आयोग को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। यह बिल चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार तीन सदस्यों की कमिटी में से एक सदस्य, यानी कि Chief Justice of India (CJI), को हटाने का प्रावधान करता है, और इसे सरकारी कैबिनेट मंत्री से भर देता है।

इस कदम से सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान किया जा रहा है और निष्पक्ष चुनावों की मौजूदगी पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को कमजोर करने का यह प्रयास है, जिससे चुनावों की नीति और आयोग की निर्णयक्षमता पर सरकार का अधिक नियंत्रण हो।

राघव चड्ढा ने इस स्थिति का सीधा मुकाबला किया है, AAP के एक प्रमुख नेता के रूप में, और उन्होंने इस कदम को सतर्कता से देखने की आवश्यकता को बताया है। इसके साथ ही, उन्होंने नेता विपक्ष और CJI की भूमिका को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को जागरूक करने का कार्य किया है, ताकि चुनाव आयोग का स्वतंत्र और निष्पक्ष काम बना रहे।

इस संविदानिक बदलाव की योजना ने चुनावी प्रक्रिया में संवेदनशीलता और निष्पक्षता की मौजूदगी को खतरे में डाला है, जिससे लोगों की आसान पहुंच और विश्वास की बुनियाद हिल सकती है। यह बिल नई सरकारी नीतियों के प्रति लोगों की आस्था को कमजोर कर सकता है, जो एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया का समर्थन करते हैं।