शिक्षाविद डॉ. नागेंद्र स्वरूप का हुआ निधन, शोक में डूबा शहर
कानपुर में शिक्षा का उजियारा फैलाने वाला चिराग बुझा

शिक्षा की अलख जगाने वाले स्वरूप परिवार का एक और चिराग बुझ गया। देश में आज़दी के बाद से स्वरूप परिवार के प्रयासों से कानपुर शहर ही नहीं, बल्कि आसपास जिलों और राज्यों तक दयानंद एंग्लोवैदिक शिक्षण संस्थान से शिक्षा का उजियारा फैल रहा है। शिक्षाविद् डॉ. नागेंद्र स्वरूप के निधन से शहर में शिक्षा के बढ़ते कारवां को एक झटका लगा है। वह शहर में डीएवी, दयानंद गर्ल्स कॉलेज, डीबीएस तथा महिला महाविद्यालय समेत कई काॅलेजों समेत लखनऊ, उन्नाव, बछरावां रायबरेली और देहरादून में संचालित 27 काॅलेजों की बागडोर संभाल रहे थे। इसके अलावा उन्होंने शहर के निजी शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर की शुरुआत करके स्कूलिंग के नए आयाम भी स्थापित किए। आज शहर के विभिन्न हिस्सों में डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजुकेशन की कई शाखाएं संचालित हो रही हैं। उनसे जुड़े करीबी शिक्षकों और परिचितों को निधन की जानकारी मिली तो सभी दुखी हो गए|
डीएवी डिग्री काॅलेज के पूर्व प्राचार्य डाॅ. एलएन वर्मा ने बताया कि हर छोटे-बड़े आयोजन को लेकर डॉ. नागेंद्र स्वरूप बेहद उत्साहित रहते थे। वह यह नहीं सोचते थे कि इंतजाम कैसे होगा। अगर उनके पास कोई भी शिक्षक किसी कार्यक्रम का प्रस्ताव लेकर पहुंचता, तो कहते कि आप इसकी रूपरेखा तैयार कीजिए, इंतजाम मैं कर लूंगा। डीएवी डिग्री काॅलेज के सौ वर्ष पूरे होने पर फरवरी 2019 में उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रित किया था। इससे पहले दिसंबर 2015 में उन्होेंने पूर्व राज्यपाल रामनाईक को भी आमंत्रित किया था।
डीएवी डिग्री काॅलेज के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डाॅ. अनुपम शुक्ला कहते हैं, कि डाॅ. स्वरूप के असमय चले जाने से शिक्षा जगत को बड़ी क्षति हुई है। उनके अंदर हमेशा अपनापन रहता था। एक बार जब उनसे मैंने कहा कि परिवार के कुछ जरूरी कार्यों के कारण दो माह तक काॅलेज नहीं आ सकेंगे तो वह बोले कि परिवार पहले है। पहले आप परिवार देखिए उसके बाद काॅलेज ज्वाइन कर लीजिएगा। उनके अंदर शिक्षक, कर्मचारी व छात्रों के प्रति प्रेम था और हर सुख-दुख में साथ खड़े रहते थे। किसी शिक्षक के बीमार होने पर वह कहते कि पहले स्वास्थ देखिए फिर पढ़ाने आइएगा। वह परिवार के सदस्य की तरह इलाज से लेकर देखभाल की व्यवस्था तक कराते थे। प्रशासनिक कौशल उनसे सीखा जा सकता है।