थाम लूंगा भाजपा का दामन गुलाबनबी आजाद

राज्य सभा में बिदाई होते समय पी.एम मोदी जी ने गुलाब नबी की जमकर तारीफ की थी और वे भावुक भी हो गए थे। उनकी भावुकता को लेकर विपक्ष अटकले लगाने में कोई कसर नहीं छोङी। अब यह अटकले लगाई जा रही है कि गुलाब नबी आजाद आगे चलकर भाजपा का हाथ थाम सकते हैं क्योंकि गुलाब नबी आजाद ने कहा है “जिस दिन काश्मिर में काली बर्फ गिरेगी, उस दिन मैं भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाऊँगा। उन्होंने यह भी कहा- मोदी के साथ अपने रिश्तों को लेकर हम दोनों एक दूसरे को 90 की दशक से जानते हैं। हम दोनों ही महासचिव थे और विभिन्न विचारों का प्रतिनिधित्व करनेवाली टीवी डीबेट में शामिल होते थे। हम डिबेट के दौरान एक दूसरे से जमकर लङते थे। जिस दिन हम जल्दी पहुँचते थे। उस दिन बैठकर चायपीते थे और आपस में लंबी बात किया करते थे। उसके बाद हम एक दूसरे को मुख्य मंत्रियों के रूप में जानने लगे थे, फिर प्रधानमंत्री की बैठकों में, गृहमंत्री की बैठकों में, तब वे मुख्यमंत्री थे और मैं स्वास्थ्य मंत्री था। हम हर पंद्रह दिन में अलग-अलग मुद्दों पर बोलते थे। हमारी एक दूसरे से पहचान और रिश्ते बहुत पुराने हैं।” गुलाबनबी आजाद जी की नरेंद्र मोदी से इतनी गहरी मित्रता होने के बावजूद इसतरह के बयान कहाँ तक उचित है। एक तरफ स्वयं ही पार्टी के विरोध में अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं और दूसरी तरफ अपने घनिष्ठ रिश्तों की बात कह रहे हैं। कहना क्या चाहते हैं? पूरी तरह से स्पष्ट मुद्दा नहीं है।