अमेरिका में अडानी पर लगे आरोपों पर भारत सरकार की चुप्पी: क्या है सच्चाई?
- अमेरिका में अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों के बाद भारत में कोई कार्रवाई नहीं।
- पिछले मामलों में CBI ने जांच की, पर अडानी मामले में चुप्पी।
- SEBI और SEC के बीच समझौते के बावजूद कोई जांच नहीं हो रही।
- राजनीतिक संरक्षण और जांच एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल उठे।
अमेरिका में अडानी समूह पर लगे आरोपों के बाद भारत में एक बार फिर से जांच एजेंसियों और सरकार की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्ष और सोशल मीडिया पर सक्रिय राजनीतिक हस्तियों ने इस मामले में सरकार की निष्क्रियता पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
एक बेवकूफी भरी दलील दी जा रही है कि अमेरिका में लगे आरोपों से आप क्यों परेशान हैं?
— Congress (@INCIndia) November 27, 2024
सच्चाई ये है कि..
अमेरिका में लगे आरोपों पर इसी मोदी सरकार के कार्यकाल में CBI ने दो मामलों की जांच की है।
- 2016 में ब्राजीलियन कंपनी Embraer के ऊपर FCPA लगी थी, उसी के आधार पर नरेंद्र मोदी के… pic.twitter.com/SpljUkbXDE
@SupriyaShrinate जैसे नेताओं ने सवाल उठाया है कि जब पहले अमेरिकी कंपनियों पर लगे आरोपों की जांच भारत में हुई, तो अब अडानी के नाम सामने आने पर सरकार और जांच एजेंसियां चुप क्यों हैं? यह सवाल इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पहले के मामलों में, जैसे कि ब्राजीलियन कंपनी Embraer और अमेरिकन कंपनी Louis Berger के मामले में, CBI ने सक्रियता दिखाई थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) के बीच हुए समझौते के तहत, अगर SEC की जांच में गंभीर आरोप सामने आते हैं, तो SEBI को भी जांच करनी चाहिए। हालांकि, अडानी समूह के मामले में ऐसा नहीं हो रहा है, जिससे सरकार पर अडानी को बचाने का आरोप लग रहा है।