International Biological Diversity Day: कोरोना महामारी के बीच क्यों बढ़ गया है जैव विविधता का महत्व
जैव-विविधता दिवस का जानें इतिहास और महत्व

आज अंतरराष्ट्रीय Biological Diversity डे है। इसे जैव-विविधता दिवस के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल 22 मई को दुनियाभर में एक साथ मनाया जाता है। इसे सबसे पहले साल 1993 में मनाया गया था। उस समय यह 29 दिसंबर को मनाया गया था। इसके बाद साल 2001 से यह हर साल 22 मई को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को Biological Diversity (जैव विविधता) के प्रति जागरूक करना है। इस साल का थीम We're part of the solution #ForNature है। वर्तमान समय में इसका महत्व बढ़ गया है। ख़ासकर कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों का ध्यान पर्यावरण संरक्षण पर ज़्यादा पड़ा है।
कई विशेषज्ञों का ये मानना रहा है कि जिस तरह से इंसान ने प्रकृति को नुक़सान किया है, उससे मौसम में तो कई तरह के बदलाव दिख ही रहे हैं। कई तरह की बीमारियां भी इससे आ रही हैं। कई जानलेवा वायरस भी पनप रहे हैं। कोरोना का भले इससे कोई सीधा संबंध ना हो, लेकिन जिस तरह से पूरी मानवता पर कोरोना की वजह से एक संकट आया है उसको देखते हुए हमें जैव-विविधता को लेकर ज़्यादा गंभीरता से सोचना होगा।
आधुनिक समय में Biological Diversity विषय पर ध्यान देने की ज़रूरत है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते पर्यावरण में विशेष बदलाव हुआ है। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया जा रहा है। एक रिपोर्ट की मानें तो आने वाले समय में पौधों और जानवरों की प्रजातियों में से 25 फीसदी विलुप्त अवस्था में है। इसके लिए IPBES ने पर्यावरण संरक्षण की सलाह दी है। साथ ही पर्यावरण संतुलन के लिए जानवरों का संरक्षण भी जरूरी है। इसके लिए संय़ुक्त राष्ट्र प्रयत्नशील है। दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई योजनाएं चल रही हैं।