मोदी के सलाहकार "विवेक देवरॉय" ने की भारतीय संविधान को बदलने की मांग 

BJP के रहे सदैव अपने भारतीय संविधान को बदलने प्रयास

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भारतीय संविधान भारत की शान हैं, लेकिन अब इसी संविधान को बदलने की मांग हो रही है। पहले भी कुछ संघ लोग इस संविधान को बदलने की मांग करते रहे थे, लेकिन अब सरकार के कुछ बड़े पदों पर बैठे लोग संविधान को बदलने की मांग कर रहे हैं। 

भारतीय संविधान को बदलने की मांग करने वाला व्यक्ति विवेक देवरॉय है, जो की जो "इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल" है यानी आर्थिक मामलों पर जो उनको सलाह मशविरा देने वाली समिति है, उस के चेयरमैन "विवेक देबरॉय" ने इस संविधान को भारतीय संविधान को बदलने की मांग की है। 

यानी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार कह रहे है की हमें मौजूदा संविधान को बदल देना चाहिए। उन्होंने अपने एक लेख में लिखा है, जहा उन्होंने दलीलें दी हैं की जो पुराना संविधान जिसे "बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर" ने लिखा था उसमें कई कमियां हैं और दुनिया में जो नए संविधान है वो बन रहे हैं। इसलिए हमें संविधान को बदल देना चाहिए। 

उन्होंने कई दलीलें दी हैं की कैसे संविधान में जो जो संहिताएं है जिस तरह के प्रावधान हैं। अभी उसमें बदलाव होने चाहिए। डायरेक्टर, स्टेट प्रिन्सिपल की बात हो या फिर जो ज्यूडिशियल कमीशन के अपॉइंटमेंटों जजों के अपॉइन्टमेंट हो, इस तरह की कई दलीलें उन्होंने दी है और उनका कहना है कि मौजूदा संविधान को बदल देना चाहिए। ये आर्टिकल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इसे अपने संविधान पर हमले की तरह देख रहे हैं क्योंकि ये मांग करने वाला व्यक्ति कोई गली का गुंडा नहीं है। कोई छोटा मोटा व्यक्ति नहीं है जो संघी मानसिकता का व्यक्ति हो और इस तरह की बयानबाजी कर रहा हो। 

आप सब जानते हैं भारत की संविधान की कॉपियां संसद भवन के बाहर ही चलाई गई थी, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन यह व्यक्ति कोई वैसा व्यक्ति नहीं है की इस तरह की हरकत कर रहा हो। ये बात की है वह व्यक्ति सीधे प्रधानमंत्री की सलाहकार समिति का अध्यक्ष है। वो जो इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल है उसका चेरमैन है। यानी वो प्रधानमंत्री को सीधे सलाह देता है और उनकी सलाह पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक मामलों से जुड़े हुए फैसले लेते हैं। इसलिए ये मामला बेहद अहम हो जाता है कि भारत के संविधान को बदलने की मांग होने का। 

आप सब जानते हैं अटल बिहारी वाजपेयी जब सरकार उन्होंने बनायीं थी तो 2002 में उन्होंने एक कमिटी बनाई थी और उसको ये काम सौंपा गया था कि वह भारतीय संविधान की समीक्षा करें कि उसको बदला जा सके। बाद में उनकी सरकार चली गई तो उनका काम अधूरा रह गया। 

लेकिन भारत के संविधान को बदलने की जो कोशिश है वो काफी समय से हो रही है और खासकर जो जो हिंदुत्व की राजनीति करने वाली पार्टियां हैं, जो एक खास विचारधारा, एक खास जाति, एक खास तरीके की सोच को आगे बढ़ाने की कोशिश करती हैं या उसको बढ़ावा देने के लिए तमाम तरीके के प्रावधान करती है। उनकी लगातार ये कोशिश रहती है कि -

"भारतीय संविधान बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का जो संविधान सभी को समानता, न्याय की गारंटी देता है, सबको मताधिकार देता है। सबको हर काम करने, अपने मन से घूमने फिरने, अपनी वाणी की अभिव्यक्ति की, धर्म की आस्था की आजादी देता है। उसको कंट्रोल किया जाए और उस पर अपनी जो सोच है उसको थोप दिया जाए"। 

इस तरह की कोशिशे लगातार हो रही है। बहुत लंबे वक्त तक तो जो संघीय सोच के लोग थे वो भारत के संविधान को बदलने के बारे में कोशिश कर रहे थे। लेकिन अब भारत का संविधान इस देश का सबसे बड़ा कानून है। जितनी कानूनी प्रावधान है, जो संविधान में आर्टिकल्स लिखे गए हैं, उसी के हिसाब से ये हमारा देश आगे बढ़ता है। चाहे वो न्यायपालिका हो, चाहे वो कार्यपालिका हो, चाहे वो विधानपालिका हो। 

लेकिन मौजूदा दौर में जब  एक "हिंदू हृदय सम्राट" होने का दावा करने वाले व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री है। नरेंद्र मोदी अभी अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल को पूरा करने जा रहे हैं। 2024 में फिर से इलेक्शन होने वाले हैं। ऐसे समय में चुनावी माहौल में अगर देश के संविधान को बदलने की मांग प्रधानमंत्री के सलाहकार कर रहे हैं। इसके बेहद गंभीर मामला हो जाता है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। 

देश के संविधान पर हमला होने की हमला करने की साजिश रची जा रही है। तो क्या इसका ये अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी की सरकार, सीआरपीसी आइपीसी और जो इंडियन एविडेंस ऐक्ट है उसकी जगह पर भारतीय दंड संहिता और इस तरह के जो कानून लेकर आई है, जिससे आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस ऐक्ट को बदल दिया जाएगा। 

तो क्या कोई ऐसी कोशिश होगी कि देश के संविधान की समीक्षा या उसके जो कहीं की बदलने की कोशिश हो? ये खतरा जरूर महसूस हो रहा है क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ऐसी कोशिश हो चुकी है और बीजेपी के तमाम लोग हमेशा ये बात बोलते है कि संविधान को बदल देना चाहिए, वो संविधान को नहीं मानते।