राष्ट्रनीति सर्वोपरि है और राजनीति एक व्यवस्था है-  पी. एम. नरेंद्र मोदी

“हमारी विचारधारा देशभक्ति से शुरू होती है, देशभक्ति से प्रेरित होती है। हम उसी विचारधारा में पले-बढे हैं, जो राष्ट्र प्रथम की बात करती है।”

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राष्ट्रनीति सर्वोपरि है और राजनीति एक व्यवस्था है- पी. एम. नरेंद्र मोदी
हमें राजनीति और राष्ट्रनीति में से एक स्वीकार करना होगा, तो हमें संस्कार मिले हैं राष्ट्रनीति को स्वीकार करना और राजनीति को नंबर दो पर रखना। हमें गर्व है कि हमारी विचारधारा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करती है। उस मंत्र को जीती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने बहुत सुंदर विचार प्रकट करते हुए कहा है “हमारी विचारधारा देशभक्ति से शुरू होती है, देशभक्ति से प्रेरित होती है। हम उसी विचारधारा में पले-बढे हैं, जो राष्ट्र प्रथम की बात करती है।”

इन्होंने समर्पण दिवस पर राष्ट्रहित में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा है “जब देश में इतने साकारात्मक विचार बदलाव हो रहे हैं। पूरी दुनियां में भारत का कद बढ रहा है, तो कौन भारतीय होगा, कौन माँ का लाल होगा, जिसको गौरव न होता हो? उसका सीना चौङा न होता हो! उसका माथा ऊँचा न होता हो! आज विश्वभर में फैला हुआ भारतीय समुदाय जिस गर्व के साथ जी रहा है, उसका कारण भारत में हो रही गति है। हमें गर्व होता है कि हमारी विचारधारा देशभक्ति को ही अपना सबकुछ मानती है। हमारी विचारधारा देशभक्ति से शुरू होती है। हमारी विचारधारा देशभक्ति से प्रेरित होती है। हमारी विचारधारा देशभक्ति के लिए होती है। उसी विचारधारा में पले हैं, जो राष्ट्र प्रथम और राष्ट्र नेशन की फर्स्ट की बात करती है। हमारी विचारधारा है कि हमें राजनीति का पाठ राष्ट्रभाषा की नीति में पढाया जाता है। हमें राजनीति और राष्ट्रनीति में से एक स्वीकार करना होगा, तो हमें संस्कार मिले हैं राष्ट्रनीति को स्वीकार करना और राजनीति को नंबर दो पर रखना। हमें गर्व है कि हमारी विचारधारा सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करती है। उस मंत्र को जीती है।” इनके द्वारा पाले गए नियमों से हर कोई परिचित है। अपने स्वावलंबी और स्वाभिमानी व्यक्तित्व के कारण ही ये लोगों के दिलों में बसे हैं। इनके हर एक कार्य निपुणता साफ नजर आती है। इसके आगे इन्होंने अपनी उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया है-

“हमारी पार्टी ने अपनी संस्कारों में ऐसी कितनी ही उपलब्धियाँ हासिल की है। जिनपर आपको गर्व होगा। आनवाली पीढियों को गर्व होगा। जो निर्णय देश में बहुत कठिन माने जाते हैं, राजनीतिक रूप से मुश्किल माने जाते हैं। हमने वो निर्णय लिए और सबको साथ लेकर लिए उदाहरण के तौरपर- देश में नए जनजाति कार्य मंत्रालय का गठन हुआ। जनजाति समुदाय हमारे आने के बाद नहीं आया यह पहले भी था, लेकिन उस मंत्रालय का गठन भाजपा के सरकार में हुआ है। यह भाजपा की देन है कि पिछङा आयोग  को भी संवैधानिक दरवाजा मिल सकता है। संवैधानिक स्टेटस हमारे यहाँ ही मिल सकता है और यह भाजपा की ही सरकार है, जिसने सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को भी आरक्षण देने का काम किया है और आप देखिए  देश में जब भी कोई ऐसे काम हुए हैं तनाव पैदा हुआ है। संघर्ष हुआ है। समाज बँट गया है। उसी काम को हमने मेलजोल, प्यार के वातावरण में जिया है, क्योंकि राष्ट्रनीति सर्वोपरि है, राजनीति एक व्यवस्था है। राज्यों का विभाजन देख लीजिए। राज्यों के विभाजन जैसा काम राजनीति में कितना रिस्कवाला काम समझा जाता था। इसके उदाहरण भी है, अगर कोई नया राज्य बना, तो देश में कैसे हालात बन जाते थे, लेकिन भाजपा की सरकार ने तीन नए राज्य बनाए।  हर  हमारे तौर तरीकों में दीनदयालजी के संस्कारों का प्रभाव स्पष्ट देखने को मिलता है। उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड का निर्माण हुआ। झारखंड बिहार से बनाया गया। छत्तीसगढ को मध्यप्रदेश से अलग आकार दिया गया, लेकिन उस समय राज्य में उत्सब का माहौल था। न गिला थी, न शिकवा था। दोनों ही तरफ आनंद ही आनंद था। लद्दाख कारगिल को अलग केंद्र शासित राज्य का दर्ज दिया गया है और वहाँ भी उत्सव का वातावरण है। इसीतरह जम्मू-कश्मीर और वहाँ के लोगों की आशंकाओं को भी हम पूरी तरह साकार करने में हम जुटे हैं। उसी प्रकार सिलवासा और सेलुजा बनारस थे। हमने उसको जोङ दिया। दोनों तरफ आनंद है। अगर उनकी नई रचना की भी, तो भी आनंद है, क्योंकि हमारी प्रेरणा राष्ट्रनीति है। स्वार्थ के लिए हम निर्णय नहीं करते और इसका जनसामान्य के मन पर असर होता है।”    

अतः इनके द्वारा लिए गए हर निर्णय में स्वराज स्वाधीनता के गुण छिपे हैं। इनका हर एक निर्णय कठोर और मजबूत होता है। इन्होंने अपना हर एक निर्णय राष्ट्र और समाज के हित में ही लिया है। आज इनका हर एक भाव, व्यवहार और विचार लोगों के दिलों में घर बना चुका है और यह हमेशा कायम रहेगा।