ओवैसी ने अरुणाचल प्रदेश में चीनियों के गांव बसाने पर सरकार को लतेड़ा
चीन जो दावे करता है उसे करके दिखाता है. ठीक ऐसा ही बिल्कुल सच हो गया है. जी हाँ चीन ने अरुणाचल प्रदेश में सौ घरों का गांव बना लिया है और सरकार देखते ही रह गई. इन सब मुद्दे को उठाकर अब विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है. विपक्ष के नेता सीधे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर सावल उठा रहे हैं. वहीं इस लिस्ट में अब AIMIM असदुद्दीन ओवैसी का नाम भी जुड़ गया है.
दरअसल मामला ये है कि, इतनी नोक झोक के बाद भी चीन ने दावे के मुताबिक एक साल के भीतर अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के साढ़े चार किलोमीटर के भीतर सौ घरों का एक गांव बना लिया है. एक अंग्रेजी चैनल ने इसे लेकर तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं. इसमें एक तस्वीर अगस्त 2019 है और दूसरी तस्वीर नवंबर 2020 की है.आखिर अपना गांव बसा ही लिया और सरकार देखती ही रह गई. चौकीदार कहलाने वाली सरकार अब अपने देश में दूसरे देशों को कैसे गांव बसाने से रोके नहीं. इन सब मुद्दे को लेकर विपक्ष के लोग सरकार पर एक एक करके धावा बोल रहें हैं. वैसे राहुल गांधी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस मुद्दे को लेकर निशाना साधते हुए दिखे थे. अब ओवैसी का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने भी सरकार पर हमला करते हुए कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कमजोर हैं वो चीन का नाम लेने से डरते हैं.
वहीं इसके अलावा उन्होंने कहा, ''सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि चीन ने अरुणाचल में परमानेंट कंस्ट्रक्शन कर लिया है. प्रधानमंत्री कमजोरी दिखा रहे हैं, पीएम चीन का नाम क्यों नहीं लेते? पीएम, चीन का नाम लेने से डरते हैं. पीएम कमजोर प्रधानमंत्री है क्योंकि उन्हीं की पार्टी का एमपी कहता है कि चीन ने अरुणाचल की जमीन पर कब्जा कर लिया है.'' अब इन बातों को लेकर मोदी सरकार क्या कहेगी.
गौरतलब है कि, एक साल के भीतर अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के साढ़े चार किलोमीटर के भीतर सौ घरों का एक गांव बना लिया गया है. एक अंग्रेजी चैनल ने इसे लेकर सैटलाइट तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं. इसमें एक तस्वीर अगस्त 2019 है और दूसरी तस्वीर नवंबर 2020 की है. पहली तस्वीर में साफ नजर आ रहा है कि एक जगह पूरी तरह खाल है, जबकि नवंबर 2020 की तस्वीर में उस जगह पर कुछ ढांचे बने नजर आ रहे हैं, जिन्हें चीन का बसाया गांव बताया जा रहा है. दावे के मुताबिक चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबानसिरी जिले में इस गांव का निर्माण किया है. एलएसी से सटा यह इलाका भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है. अब चीन धीरे धीरे इसे अपने कब्जे में लिए जा रहा है.