कक्षा III और VI की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना हटाई गई ..?

एनसीईआरटी द्वारा नए सिलेबस में बदलाव, विवाद उत्पन्न

 | 
hindi
  • एनसीईआरटी ने कक्षा III और VI की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाया।
  • शिक्षाविदों और अभिभावकों ने इस बदलाव पर चिंता व्यक्त की।
  • एनसीईआरटी का दावा, छात्रों के लिए सिलेबस को सरल बनाने की कोशिश।

नई दिल्ली: एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने हाल ही में कक्षा III और VI की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने का निर्णय लिया है। यह बदलाव नए सिलेबस के तहत किया गया है, जिससे शिक्षा जगत में विवाद उत्पन्न हो गया है।

संविधान की प्रस्तावना, जो भारत के संवैधानिक आदर्शों और मूल्यों का संक्षिप्त परिचय देती है, अब कक्षा III और VI के छात्रों के लिए उपलब्ध नहीं होगी। एनसीईआरटी के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम छात्रों के लिए सिलेबस को सरल बनाने और उन्हें अधिक प्रासंगिक सामग्री प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

हालांकि, शिक्षाविदों और अभिभावकों ने इस बदलाव पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि संविधान की प्रस्तावना छात्रों के लिए भारतीय लोकतंत्र और उसके मूल्यों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक शिक्षक, डॉ. सुमन शर्मा ने कहा, "संविधान की प्रस्तावना हमारे राष्ट्रीय आदर्शों का प्रतीक है और इसे प्राथमिक शिक्षा से ही बच्चों को सिखाया जाना चाहिए।"

एनसीईआरटी के इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में भी चर्चा छेड़ दी है। कई विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है और इसे संविधान के महत्व को कम करने का प्रयास बताया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "संविधान की प्रस्तावना को हटाना हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।"

एनसीईआरटी के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह बदलाव अस्थायी है और भविष्य में सिलेबस की समीक्षा के दौरान इसे पुनः शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस बदलाव के पीछे उद्देश्य छात्रों को व्यावहारिक और प्रासंगिक शिक्षा प्रदान करना है, जिससे वे आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकें।

इस मुद्दे पर चल रही बहस के बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एनसीईआरटी आने वाले समय में इस पर क्या कदम उठाती है और शिक्षा जगत में हो रही आलोचनाओं का कैसे समाधान करती है।

4o