प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कृषि-कानून को लेकर व्याख्यान

देश के 75वे साल पर नए संकल्प लेने हैं। हर राष्ट्र का एक मिशन एक नीति  होगी कोरोना काल से ही मोदी जी नें सुखिनः भवतु के बारे में कहा है- सुखी रहो। आंदोलन कर रहे सभी किसान भाइयों का सरकार भी आदर भाव के साथ  सम्मान करती हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कृषि-कानून को लेकर व्याख्यान
देश को गुमराह करने वाले को पहचानने की जरूरत है। देश में सबसे बङा सोलर पार्क बन रहा हैं। पूर्वी-पश्चिम भारत के विकास में समानता जरूरी है।

कल शाम प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने लोकसभा में सभी सांसद सदस्यों के समक्ष कोरोना से लेकर किसान आंदोलन तक के मुद्दे को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हमारा भारत कई देशों का महाद्वीप है। लोगों को लगता है कि हमारा राष्ट्र एक नहीं हो पाएगा, लेकिन भारतवासियों ने इस भ्रम को तोङा। जिसके मन में जो शक था, दूर किए। इंडिया में डेमोक्रेसी है। लोकतंत्र हमारे जीवन में घुला हुआ है।  आजादी के 75 साल पूरे होनेवाले हैं। आज हम उसी भारत की बात करते हैं।

देश के 75वे साल पर नए संकल्प लेने हैं। हर राष्ट्र का एक मिशन एक नीति  होगी कोरोना काल से ही मोदी जी नें सुखिनः भवतु के बारे में कहा है- सुखी रहो। आंदोलन कर रहे सभी किसान भाइयों का सरकार भी आदर भाव के साथ  सम्मान करती हैं। मोदी जी का कहना है-किसान अफवाहों का शिकार है। हम किसानो के साथ भाव से वार्ता कर रहे हैं। सरकार लगातार किसानो से वार्ता की है अगर कृषि कानून में कोई कमी होगी, तो बदल दी जाएगी कानून लागू होने के बाद कोई मंडी बंद नहीं हुई है। कानून लागू होने के बाद एम. एस. पी. खत्म नहीं हुई है। लोकसभा में काले कानून वापस लेने की आवाज गूँजने लगी। इस हंगामें के बीच नरेंद्र मोदीजी ने कहा कि संसद में रूकावट सोची-समझी रणनीति है। हंगामें से विश्वास नहीं जीता जा सकता। बंगाल में पब्लिसीटी के लिए हंगामा करते हैं। आंदोलन जीवी अफवाह फैलाते हैं। सरकार का विरोध नहीं, देश की चिंता का विषय है। इन्होंने कहा कि मैं हैरान हूँ, सदन में यह पहली बार तर्क आया है “मांगा नहीं, तो दिया क्यों?” यह कानून किसी के गले मढा नहीं है। लेना नहीं लेना आपकी मर्जी है। यह ऑप्शनल है। इतना कहना ही था कि इसके कुछ देर में ही विपक्षी नेता सदन से वॉकआऊट हो गए। फिर उसके बाद उन्होंने कहा-  माँगनेवाली सोच से मुझे परहेज है।

पी.एम. मोदी ने आगे कहा कि तीन तलाक कानून की माँग किसी ने नहीं की थी, फिर भी कानून बनें। बाल-विवाह के खिलाफ कानून बने। किसी ने माँग नहीं की थी, फिर भी कानून बनाए गए। माँगने पर काम करने की परंपरा नहीं है। नागरिक को याचक बनाने से आपका सम्मान घटता है। ठहरा हुआ पानी भी बिमारी पैदा करता है। चलता हुआ पानी जीवन पैदा करता है। दीया जलाएँगे रिबन काटेंगे, ऐसे देश नहीं चलता है।

खेती किसानी परंपराओं से जुङी हुई है। छोटे किसान को उपेक्षित करके देश का भला नहीं कर सकते। आजादी के बाद देश में 28 प्रतिशत खेतीहर मजदूर थे। अब देश में 55 प्रतिशत खेतीहर मजदूर हैं। दुर्भाग्य का विषय है कि कृषि में निवेश नहीं हुआ है। किसान आत्मनिर्भर बनें, इस दिशा में काम करना जरूरी है। किसानों के आमदनी के लिए निवेश जरूरी है। हमने देश में बदलाव के लिए कोशिश की है। हम किसानों को गाईड कर नई चीजों पर ले जाएंगे किसानों की चुनौतियों को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। पुरानी सोच से किसानो का भला नहीं हो सकता। 21वी सदी में 18वी सदी की सोच से किसानो का भला नही हो सकता। देश के 10 हजार एफ. पी. ओ. बनाने का लक्ष्य है। एफ.पी.ओ. से छोटे किसान ताकतवर बनेंगे। सरकार के इस प्रयास से किसानों को फायदा होगा। E-NAM से किसान फसल बेच रहा है। किसान रेल एक चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज है। नासिक का किसान मुजफ्फरपुर जाकर फसल बेच सकता है। इसलिए मंडियों को ऑनलाईन जोङा जा रहा है। किसान रेल से किसान देशभर के बाजारों से जुङा है। कृषि में जितना निवेश बढेगा, उतना ही रोजगार बढेगा। अन्नदाता समृद्ध हों।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भोजपुरी के कहावत को प्रस्तुत किया और कहा “न खेलब, न खेले देब अऊर खेलही  बिगाङ देब।”  अर्थात न खेलेंगे, न खेलने देंगे और खेलोगे तो खेल ही बिगाङ देगें। इन्होंने आंदोलकारियों के कंधे पर बंदूक रखकर चलानेवाले लोगों को समक्ष रखकर यह कहावत बङी खूबसूरती से पेश करते हुए कहा है कि किसान आंदोलन पवित्र है। जब आंदोलनकारी अपने लाभ के लिए आंदोलन को बर्बाद करते हैं तब तथ्य पर बात नहीं होती, तो  यह आशंकाओं को हवा देती है। देश को आंदोलनजीवियों से बचाना जरूरी है, क्योंकि आंदोलन जीवी और आंदोलन कारी में फर्क होता है। देश आंदोलनकारी और आंदोलनजीवी में फर्क करे। आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलनकारी को बर्बाद कर रहे हैं। कुछ लोग बोलने पर विश्वास रखते हैं। विपक्ष विकास के मुद्दे पर चर्चा नहीं करता। देश को गुमराह करने वाले को पहचानने की जरूरत है। देश में सबसे बङा सोलर पार्क बन रहा हैं। पूर्वी-पश्चिम भारत के विकास में समानता जरूरी है। आत्मनिर्भर भारत के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया जा रहा है। देश में संतुलित विकास जरूरी है। काँग्रेस ने सीमावर्ती इलाकों में विकास नहीं किया है। देश में सैंकङों पाईपलाईन बनाने की योजना बनाई गई है। देश को अपनी सेना के शौर्य पर गर्व है। हमारी सेना हर हालत के लिए तैयार है।   जिनका यह राजनैतिक एजेंडा है उन्हें ये एजेंडा मुबारक। हम देश के एजेंडा को लेकर चलते हैं।