कृषि कानूनों पर SC ने बनाई कमेटी, ऐसे सदस्य हैं शामिल जो पहले ही कर चुके हैं समर्थन
 

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था वो अगले आदेश तक वैसे ही चलता रहेगा. कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि वो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप दें. शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति,
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कृषि कानूनों पर SC ने बनाई कमेटी, ऐसे सदस्य हैं शामिल जो पहले ही कर चुके हैं समर्थन

*  कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संगठन क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल ने बुधवार को कहा कि मैं भूपिंदर सिंह मान को जानता हूं,

*  बल्कि निर्णायक भूमिका निभाएगी. समस्या का समाधान करेंगे किसानों से बातचीत करके. वहीं उन्होंने किसानों से कहा है कि अगर वो समस्या का हल चाहते हैं

 इतने दिनों से चल रहे कृषि कानून आंदोलन अब कामयाब होता नज़र आ रहा है जहां तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके अलावा अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन भी कर दिया गया है. इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे. यह कमेटी मामले की मध्यस्थता नहीं, बल्कि समाधान निकालने की कोशिश करेगी. ताकि जल्द से जल्द समाधान हो सके.

गौरतलब है कि कृषि कानून मसले से सुलझाने के लिए जो कमेटी बनाई गई है उनमें भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी शामिल हैं. वहीं ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी. तब तक कोई भी कानून किसानों पर लागू नहीं होगा. 

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था वो अगले आदेश तक वैसे ही चलता रहेगा. कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि वो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप दें. शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति, सरकार के साथ-साथ किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. रिपोर्ट में कमेटी की सिफारिशें होंगी. यह काम दो महीने में पूरा किया जाना है. पहली बैठक आज से दस दिनों के भीतर आयोजित की जाएगी.

बता दें कि, कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी में ऐसे ऐसे लोगों को लिया गया है जो पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं. जिनमें भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान  है जो पहले ही कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संगठन क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल ने बुधवार को कहा कि मैं भूपिंदर सिंह मान को जानता हूं, वो पंजाब से हैं और वह कृषि मंत्री से मिलकर कानून का समर्थन कर चुके हैं तो हमें इनसे कोई मतलब नहीं है. 

दूसरे शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत हैं. जिन्होंने बीते दिनों कहा था कि सरकार किसानों के साथ विचार-विमर्श के बाद कानूनों को लागू और उनमें संशोधन कर सकती है. हालांकि, इन कानूनों को वापस लेने की आवश्यकता नहीं है, जो किसानों के लिए कई अवसर को खोल रही है.

 अशोक गुलाटी ने कहा था- किसानों को कानून से होगा फायदा जो किसान और सरकार के बीच संवादहीनता है, जिसे दूर किया जाना चाहिए. इसके अलावा प्रमोद जोशी ने कहा था- हमें MSP से परे नई मूल्य नीति पर विचार करने की जरूरत हैवहीं जब ये सारे सरकार के कृषि कानून का समर्थन कर रहे हैं तो किसानों की ओर से पहले कमेटी का विरोध किया गया और कमेटी के सामने ना पेश होने को कहा. उनका कहना है कि ये सारे लोंग मिले हुए हैं ये क्या हमारे हक में फैसला सुनाएंगे. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख बरतते हुए कहा कि अगर मामले का हल निकालना है तो कमेटी के सामने पेश होना होगा. अब हर मसला कमेटी के सामने उठाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने  भी साफ किया कि कमेटी कोई मध्यस्थ्ता कराने का काम नहीं करेगी, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाएगी. समस्या का समाधान करेंगे किसानों से बातचीत करके. वहीं उन्होंने किसानों से कहा है कि अगर वो समस्या का हल चाहते हैं तो उन्हें कमेटी में पेश होना होगा.