शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से महाकुंभ हादसे के बाद इस्तीफा मांगा
महाकुंभ में भगदड़ की जिम्मेदारी लेकर योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा देना चाहिए: शंकराचार्य

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शंकराचार्य ने योगी आदित्यनाथ से महाकुंभ में हुए भगदड़ की जिम्मेदारी लेने के लिए इस्तीफे की मांग की।
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मुख्यमंत्री पद छोड़कर, योगी को वैदिक ज्ञान के लिए शंकराचार्य के शरण में जाना चाहिए।
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शंकराचार्य ने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री ने सनातन धर्म के साथ धोखा किया है।
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पोस्ट्स पर उपलब्ध जनमत शंकराचार्य के साथ खड़ा दिखता है।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान भगदड़ की घटना के बाद, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है। इस मांग को शंकराचार्य ने न केवल सरकारी जवाबदेही के लिए उचित ठहराया, बल्कि यह भी कहा कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटकर वैदिक ज्ञान की खोज में उनके शरण में आना चाहिए।
महाकुंभ में भगदड़ की घटना के बाद से ही इस मामले में शंकराचार्य का रुख स्पष्ट रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने संतों के साथ धोखा किया है, जिससे सनातन धर्म की मान्यताओं को भी ठेस पहुँची है। उनका तर्क है कि घटना को छिपाने की कोशिश करना और उसके वास्तविक प्रभाव को कम करके दिखाना सरासर गलत है। शंकराचार्य ने यह भी पूछा कि क्या मुख्यमंत्री का हिंदुत्व कमजोर है, या क्या उनका मन सनातन धर्म के प्रति नहीं, बल्कि कुर्सी के प्रति अधिक समर्पित है?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी कह रहे हैं:
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) January 30, 2025
“हमारा मुख्यमंत्री झूठा है, हमारे साथ घटना घटती हैं ये हमेशा छिपा लेता है
ऐसे व्यक्ति को महाकुंभ पर्व रहते रहते इस्तीफ़ा दे देना चाहिए”
आदरणीय शंकराचार्य जी,
मुख्यमंत्री @myogiadityanath जी ख़ुद एक संत हैं। योगी जी की आँखों… pic.twitter.com/12VzrlRErz
इस घटना के बाद, सोशल मीडिया पर भी शंकराचार्य के समर्थन में आवाजें उठने लगी हैं, जहाँ लोग योगी आदित्यनाथ से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। पोस्ट्स पर उपलब्ध जनमत यह संकेत देता है कि लोग इस मुद्दे पर शंकराचार्य के साथ खड़े हैं, जो कि यह दर्शाता है कि सार्वजनिक राय महाकुंभ के दौरान हुए भगदड़ को गंभीरता से ले रही है।
योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल इस्तीफे की मांग के साथ ही विवादों में घिरा हुआ है। शंकराचार्य का यह बयान न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह धार्मिक आधार पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या एक मुख्यमंत्री जो स्वयं एक संत है, धार्मिक आयोजनों के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदारी लेने को तैयार होना चाहिए।
इस परिस्थिति में, योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की वैधता को लेकर बहस चल रही है। कुछ का मानना है कि इस्तीफा देना एक नैतिक जिम्मेदारी है, जबकि अन्य इसे राजनीतिक साजिश मानते हैं। विवाद चाहे जो भी हो, लेकिन महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन में हुई दुर्घटना ने उत्तर प्रदेश की राजनीति और धार्मिक क्षेत्र में तूफान ला दिया है।
यह मामला न केवल उत्तर प्रदेश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि जब धार्मिक और राजनीतिक जिम्मेदारियां एक साथ आती हैं, तो किसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। शंकराचार्य की यह मांग एक बड़ा प्रश्न चिह्न है कि क्या हमारे नेता अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभा रहे हैं।