सुप्रिया श्रीनेत ने किया खुलासा, अमित शाह के वीडियो को हटाने की मांग पर उठाया सवाल
गृह मंत्री के भाषण की वीडियो क्लिप पर ट्वीटर का जवाब, क्या छुपा रहे हैं अमित शाह?

-
सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि ट्वीटर ने गृह मंत्री अमित शाह के वीडियो को नहीं हटाया।
-
मंत्रालय ने ट्वीटर से वीडियो हटाने के लिए कहा, क्योंकि यह कानून का उल्लंघन करता है।
-
श्रीनेत ने अमित शाह से माफी और इस्तीफा मांगा, पीएम मोदी की भूमिका पर उठाए सवाल।
दिल्ली में, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक बड़ा खुलासा किया है, जहां उन्होंने दावा किया कि ट्वीटर (अब 'X') ने एक वीडियो को हटाने से इनकार कर दिया है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह का राज्यसभा में दिया गया भाषण है। श्रीनेत ने बताया कि ट्वीटर ने उन्हें एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि गृह मंत्रालय और आईटी मंत्रालय ने वीडियो को हटाने के लिए कहा क्योंकि वह भारतीय कानून का उल्लंघन करता है। हालांकि, ट्वीटर ने स्पष्ट किया कि वे इस वीडियो को हटाने से इनकार कर रहे हैं, अभिव्यक्ति की आजादी के सिद्धांतों का हवाला देते हुए।
#WATCH दिल्ली: कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, " ये वो चिठ्ठी है जो 'X'(ट्वीटर) ने हमें लिखी है जिसमें वह कहते हैं कि गृह मंत्रालय और IT मंत्रालय ने उनको लिखकर बोला है कि जो वीडियो गृह मंत्री अमित शाह का है उसको हटाया जाए क्योंकि वो वीडियो भारत के कानून का उल्लंघन करता है।… pic.twitter.com/qtAXsH0Bx0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 19, 2024
श्रीनेत ने सवाल उठाया कि कौन सा कानून इस वीडियो के द्वारा उल्लंघन हो रहा है और क्या अमित शाह किसी बात से डर रहे हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि शाह कुछ छुपाना चाहते हैं, जो उनके 34 पन्नों के राज्यसभा भाषण में स्पष्ट है। श्रीनेत ने कहा कि वीडियो में जो दिखाया गया है, वही इस भाषण में लिखा हुआ है।
इसके अलावा, श्रीनेत ने अमित शाह से माफी मांगने और अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की है। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर भी सवाल उठाए, जो कि शाह के समर्थन में आए हैं। श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस डरने वाली नहीं है और सच्चाई सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह विवाद सूचना की स्वतंत्रता, राजनीतिक जवाबदेही और सेंसरशिप के मुद्दों को उजागर करता है, जो भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में एक नया बहस का विषय बन सकता है। इस घटना से भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक बयानबाजी के नियमन के बारे में व्यापक विचार-विमर्श शुरू हो सकता है।